Friday, April 30, 2021

Amazing-Success-Story-2 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा इतिहास, पढ़ें सफलता की पूरी कहानी

how flight lieutenant swati rathore created history on rajpath- read full story of success-फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा-पढ़ें सफलता की पूरी कहानी
 स्वाति राठौड़ ने अपने करियर के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं।

सफलता (Success) क्या होती है और उसे कैसे पाया जा सकता है इसका सबसे उम्दा उदाहरण है राजस्थान की बेटी एवं भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ (Flight Lieutenant Swati Rathore)। राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गांव की इस बहादुर बेटी ने अपने करियर (Career) के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं। लेकिन स्वाति ने उसे हकीकत में बदल कर यह बता दिया कि अगर आप में जुनून है तो आप कोई भी मुकाम पा सकते हो। मुश्किलें कतई आड़े नहीं आती हैं। वे आपके हौंसले को देखकर अपने आप दूर हो जाती हैं।

 

जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है

वर्ष 2021 में गणतंत्र दिवस के मौके पर इतिहास रचने वाली राजस्थान के नागौर जिले की प्रेमपुरा की इस बेटी ने राजधानी दिल्ली में राजपथ पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व कर बता दिया कि जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है। अजमेर में पली बढ़ी और यहीं से शिक्षा प्राप्त कर इंडियन एयरफोर्स के चुनने वाली स्वाति की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान बल्कि देशभर की बेटियों के लिये मील का वो पत्थर है जो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने और सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देता रहेगी। भारत में गणतंत्र दिवस के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी महिला पायलट को फ्लाई पोस्ट का जिम्मा मिला था.


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स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। 

स्कूल अजमेर और कॉलेज जयपुर से किया

कृषि विभाग में उपनिदेशक पद पर तैनात डॉ. भवानी सिंह राठौड़ और राजेश कंवर की लाडली बेटी स्वाति ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर के मयूर स्कूल और कॉलेज जयपुर के आईसीजी से किया। स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। स्वाति ने स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एनसीसी एयर विंग ज्वॉइन कर अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम रखा था। स्वाति ने एनसीसी एयरविंग में कैडेट रहते हुये ही रक्षा सेवाओं में करियर बनाने की पूरी प्लानिंग कर ली थी। 

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वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में स्वाति का चयन एयरफोर्स में हो गया था।

पहले ही प्रयास में हो गया एयरफोर्स में चयन

जयपुर में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान स्वाति को यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सिंगापुर जाने का मौका मिला। वहां स्वाति ने यूरोप और अमरिकन देशों से आये अन्य प्रतिभागियों के बीच निशानेबाजी प्रतियोगिता में मुकाबला करते हुये गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में उनका चयन एयरफोर्स में हो गया। स्वाति वर्ष 2013 में एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में शामिल हुई थी। टेस्ट क्लियर करने के बाद उन्हें मार्च 2014 में एयरफोर्स सलेक्शन बोर्ड देहरादून में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। उस समय वहां देशभर से करीब 200 छात्राएं इंटरव्यू के लिये आईं थी। इनमें से करीब 50 फीसदी को स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था। स्क्रीनिंग के बाद केवल पांच छात्राएं ही मैदान में रहीं। उनमें फ्लाइंग ब्रांच के लिए एकमात्र स्वाति का चयन हुआ। 


पूर्व सीएम राजे और केन्द्रीय मंत्री शेखावत समेत कई दिग्गजों ने दी थी बधाई

एयरफोर्स ज्वॉइन करने के बाद वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान स्वाति ने अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों लोगों को एयरलिफ्ट कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था. बाढ़ राहत में किये गये स्वाति के इस कार्य के दौरान वे काफी चर्चा में रही थी। वहीं 26 जनवरी पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व करने पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत समेत कई दिग्गजों नेताओं और अन्य हस्तियों ने मरुधरा की इस बेटी को उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनायें दी।  

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स्वाति ने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने बहुत जल्द पूरा कर लिया।

बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें

अपनी लाडो की इस उपलब्धि पर उनके माता पिता बेहद खुश हैं। स्वाति के पिता डॉ. भवानी सिंह राठौड़ बताते हैँ उन्हें स्वाति पर गर्व है. उसने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने पूरा कर लिया। डॉ. भवानी सिंह और उनकी पत्नी राजेश कंवर दोनों का कहना है कभी बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें. बेटियां भी सपने देखती हैं। उन्हें उनके सपनों की मंजिल तक पहुंचाने के लिय उन पर भरोसा करें और कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग करे. यकीनन बेटियां आपका सिर गर्व से ऊंचा कर देगी। स्वाति इसका उदाहरण है। 


Monday, April 26, 2021

Amazing Success Story-1: 1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं कंचन शेखावत

1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन शेखावत राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले के किरडोली छोटी की रहने वाली है।

सफलता (Success) कोई सपना नहीं है इसे कोई भी आम इंसान हकीकत में बदल सकता है। जरुरत बस दृढ़ इच्छाशक्ति  (Willpower) की होती है। पहले के मुकाबले वर्तमान में समय सफलता के कई सोपान सामने आ रहे हैं। बेहतर जॉब और करियर (Jobs & Careers) के वर्तमान में जितने विकल्प युवाओं को मिल रहे हैं उतने शायद पहले कभी नहीं थे। इन विकल्पों का दोहन करना आपके हाथ में है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां (Government and private sector jobs) के बहुविकल्प युवाओं के सामने बाहें फैलाये खड़े हैं। 


सफलता में ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन

यह आप पर निर्भर है कि आप उन विकल्पों को किस तरह से लेते हैं। इन विकल्पों में से कोई चीज ऐसी नहीं है जो आप पा नहीं सकते। आप हर वो चीज पा सकते हैं जिसकी इच्छा रखते हैं। हां, यह जरुर है कि उसे पाने के लिये सीढ़ियां आपको की चढ़नी पड़ेगी। इसमें ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन। इसके हजारों उदाहरण आपके सामने हैं। इनमें एक हैं यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात राजस्थान की बेटी कंचन शेखावत (Kanchan Shekhawat)। 


महज 26 साल की उम्र में गढ़ी सफलता की कहानी

सीमित साधनों के बूते सफलता की नई कहानियां गढ़ने वालों की लंबी फेहरिस्त है। सरकारी क्षेत्र में आरक्षण को रोड़ा मानकर आप हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते हैं। ये व्यवस्था के हिस्से हैं। अगर इनके भरोसे रहेंगे तो जितना आपको मिलना चाहिये आप उतना नहीं पा सकेंगे और मन ही मन में कुढ़ते रहेंगे। लेकिन अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा है तो आपकी राह रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसा ही एक उदाहरण है राजस्थान की शेखावाटी इलाके के सीकर जिले की युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंचन शेखावत। कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे अपनी मेहनत के बूते महज 26 साल की युवा अवस्था में पूरा कर दिखाया। 


Amazing Success-  1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन मानती हैं कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं।


कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है

आज कंचन अपने सपने को जी रही हैं। यही नहीं वह सपनों से भी आगे निकलने का भी प्रयास कर रही हैं। परंपरागत राजपूत समाज में ऐसी कई प्रतिभायें है जो साधनों और संसाधनों की फिक्र को एक तरफ रखकर अपने लक्ष्य के प्रति इतने ज्यादा जनूनी हो जाती हैं कि वे उसे पाकर ही दम लेती हैं। उन्हीं में से एक है कंचन शेखावत। क्षत्रिय समाज के युवाओं के लिये वो आइडिल हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों में नई ऊचाइंयों को छुआ है। क्षत्रिय समाज की इस बेटी ने अपनी सफलता के बूते ना केवल मां-पिता का बल्कि समाज का भी मान बढ़ाया है। कंचन अमेरिका की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात हैं. कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. आज हम आपको रू-ब-रू करवाते हैं कंचन शेखावत और उसके संघर्ष की गाथा तथा विकास यात्रा से।      


जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है

राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले का छोटा सा गांव है किरडोली छोटी। इसी छोटे से गांव से निकलकर महज 26 वर्ष उम्र में कंचन ने अमेरिका तक का सफर तय किया है। सीकर के किरोडोली गांव निवासी कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे बेदह कम उम्र में पूरा कर यह साबित कर दिया कि जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कंचन ने बचपन में ही शिक्षा के महत्व को समझकर उसे आत्मसात कर लिया। कचंन ने यह अच्छी तरह से समझ लिया कि शिक्षा वो शस्त्र है जिसके बूते वह हर वो मुकाम पा सकती है। जिसकी वो इच्छा रखती हैं और हकदार है। कंचन ने 10वीं कक्षा तक आते-आते इंजीनियर बनने के लक्ष्य को तय कर लिया.


Amazing Success-  1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन के पिता भंवर सिंह  गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं।

सफलता के लिये दृढ़ संकल्प और सटीक रणनीति होनी चाहिये

उसके बाद कंचन ने अपने मुकाम को पाने के लिये खुद को इतना झौंक दिया कि उसने बाकी सभी चीजों की सुध छोड़ दी। बकौल कंचन सपने को पूरा करने के लिये दृढ़ संकल्प और उसे पूरा करने की रणनीति आपके पास होनी चाहिये। फिर धैर्य के साथ सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते जाये सफलता आपके कदम जरुर चूमेगी। अपने लक्ष्य को पाने के लिये उस समय तक मेहनत करो और हार मत मानो जब तक कि आपको अपनी मंजिल मिल ना जाये. सफलता एक पड़ाव नहीं है। यह सफर है। इस पर जितना चलोगे उतने ही ज्यादा सफल होंगे।


सफल होने के लिये मां से सीखा 'हार्ड वर्क' का पाठ

कंचन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा का सफर गुजराती माध्यम से वडोदरा से शुरू किया। उसके बाद कंचन ने 8वीं से लेकर 12वीं तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से अपने गृह जिले सीकर से प्राप्त की. 12वीं तक पहुंचते-पहुंचते कंचन ने अपने लक्ष्य को उड़ान देना शुरू कर दिया। अपने सपनों को पूरा करने के लिये कंचन मिजोरम पहुंची और वहां एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त कर लक्ष्य का अहम पड़ाव पूरा किया। साधारण राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली कंचन के पिता भंवर सिंह शेखावत पहले प्लास्टिक फैक्ट्ररी में ठेकेदारी करते थे. वर्तमान में अपने गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं. कंचन की मां चांद कंवर सीधीसाधी घरेलू महिला हैं, लेकिन वे मेहनती काफी हैं। कंचन ने मां चांद कंवर से मेहनत का पाठ पढ़ा। 


हर अवसर में सीखने की आदत डालें, यह आपको सफल बनाती हैं

अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और शिक्षकों को देने वाली कंचन मानती की उनकी प्रेरणा और सहयोग के बिना शायद यह संभव नहीं हो पाता। अमेरिका जैसे देश में इतने बड़े पैकेज पर पहुंचने के बाद भी अपनी कंचन जड़ों से नहीं कटी हैं। उनका कहना है कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं। उनका मान-सम्मान ही दुनियाभर में आपको ऊंचाइयां प्रदान करता है। कंचन कहती है अभी तक पंख फैलायें हैं उड़ान बाकी है। बकौल कंचन ये जॉब उनके लिये सीखने का अवसर है. अभी और आगे जाना है। हर अवसर में सीखने की आदत डालें। यह आपकी सफलता की निरंतरता के लिये जरुरी है। 


Amazing Success-  1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन ने एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त की है।


पहले सपने देखने का साहस करो फिर से पूरा करने का प्रयास करो

यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत कंचन का वर्तमान में सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. कंचन को इससे पहले भी कई बड़े ऑफर मिल चुके हैं। पूर्व में कंचन को 7 लाख से लेकर 40 लाख रुपये के ऑफर मिल चुके हैं। कंचन की खूबी यह है कि वह अपने हर कार्य और जॉब को पूरी शिद्दत से पूरा करती है। 'काम ही काम आता है' में विश्वास करने वाली कंचन की सफलता का यह सफर न केवल क्षत्रिय समाज बल्कि हर उस युवा के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। कंचन विश्व के ख्यातनाम वैज्ञानिक एंव भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे कलाम के उस थीम में विश्वास करती है जिसके अनुसार 'अगर अगर आपको सफल होना है तो पहले सपने देखने का साहस करो और फिर उसे पूरा करने के लिये अपनी पूरी ताकत झौंक दो'


Sunday, April 25, 2021

श्री क्षत्रिय युवक संघ: राजपूत समाज की सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली

राजपूत समाज की 'सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली' है श्री क्षत्रिय युवक संघ-Founder of Shri kshatriy yuvak sangh Tan Singh Barmer
श्री तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक निर्वाचित हुए।

आधुनिक भारत में आजादी से करीब दो वर्ष पहले सन् 1944 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पिलानी राजपूत छात्रावास में शुरू हुआ 'श्री क्षत्रिय युवक संघ' देशभर में क्षत्रिय समाज की 'सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली' है। शुरुआती दौर में अन्य संस्थाओं की तरह कार्य करने वाली यह संस्था आज देशभर में समग्र क्षत्रिय समाज को संस्कारित करने की दिशा में कार्यरत अग्रणी संस्था है। 22 दिसंबर, 1946 को श्री क्षत्रिय युवक संघ अपने वर्तमान स्वरूप में सामने आया। उसके बाद से यह लगातार क्षत्रिय समाज को क्षत्रियोचित्त व्यवहार, संस्कार और मूल्यों के आधार पर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। 


श्री तन सिंह जी द्वारा संघ की स्थापना की गई

श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना परम पूज्य श्री तन सिंह जी द्वारा की गई। आपका जन्म 25 जनवरी 1924 तद्नुसार माघ कृष्णा चतुर्थी संवत 1980 को अपने ननिहाल बैरसियाला (जैसलमेर) में हुआ। श्री तन सिंह जी पिता बाड़मेर के रामदेरिया गांव के ठाकुर बलवंत सिंह महेचा एवं ममतामयी माता श्रीमती मोतीकंवर जी सोढ़ा थीं। श्री तन सिंह जी शिक्षा दीक्षा राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, झुंझुनूं के पिलानी और महाराष्ट्र के नागपुर में हुई। आपने नागपुर से वकालत की पढ़ाई पूरी कर बाड़मेर में वकालत की। पूज्य तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक थे। श्री तन सिंह जी ने अपनी लेखनी अनूठा साहित्य भी लिखा। आपकी 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ये पुस्तकें आज पथप्रेरक के रूप में संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन कर रही हैं।


श्री तन सिंह जी का राजनीतिक-सामाजिक सफर

श्री तन सिंह जी 1949 में बाड़मेर नगरपालिका के प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उसके बाद 1952 के आम चुनावों में महज 28 वर्ष की उम्र में बाड़मेर से ही राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। उस समय वे कुछ समय के लिए संयुक्त विपक्ष के नेता भी रहे। उसके बाद 1957 में श्री तन सिंह जी फिर विधायक बने। आप 1962 में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। उसके बाद श्री तन सिंह जी 1967 का चुनाव हार गए तो उन्होंने स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ किया। इस दौरान अपने कई साथियों को रोजगार उपलब्ध करवाया। 1977 में वे पुनः इसी क्षेत्र से सांसद चुने गए। 7 दिसंबर 1979 पूज्य श्री तन सिंह जी का देवलोकगमन हो गया। आपने अपने संपूर्ण जीवनकाल में किंकर्त्तव्यविमूढ क्षत्रिय समाज को उसका नैसर्गिक मार्ग प्रदान करने का कार्य किया। 

tan singh barmer founder of shri kshatriy yuvak sangh-लीडिंग लीडर ऑफ राजपूज समाज तन सिंह बाड़मेर
तन सिंह 28 वर्ष की उम्र में बाड़मेर से राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। फाइल फोटो


वर्तमान में श्री भगवान सिंह जी रोलसाहबसर के पास है संघ की जिम्मेदारी

श्री तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक निर्वाचित हुए। उसके बाद 1949 में श्री तनसिंह जी पुनः संघप्रमुख निर्वाचित हुए। 1954 में उन्होंने स्वयं निर्वाचन प्रक्रिया से अलग रहकर अपने निकटतम सहयोगी श्री आयुवान सिंह हुडील को संघप्रमुख बनवाया। 1959 में भी तनसिंह जी ने फिर ऐसा ही किया। आयुवान सिंह जी द्वारा पूर्ण कालिक राजनीति में जाने के लिए त्यागपत्र देने के बाद श्री तनसिंह जी पुनः संघप्रमुख चुने गए और 1969 तक संघप्रमुख रहे। 1969 में श्री तन सिंह जी ने संगठन के युवा नेतृत्व को आगे लाते हुये अपने श्रेष्ठतम अनुयायी श्री नारायणसिंह जी रेड़ा को संघप्रमुख बनाया। श्री नारायण सिंह जी ने दस वर्ष तक संघ को सींचा। उन्होंने 1979 से 1989 तक संघ प्रमुख के रूप में संघ का संचालन किया। उसके बाद संघ का संचालन वर्तमान संघ प्रमुख श्री भगवान सिंह रोलसाहबसर के पास आया। वे संघ के चौथे संघ प्रमुख हैं। श्री भगवानसिंह जी आज अपने प्रत्येक सहयोगी के लिए अनासक्त एवं निर्विकार मार्गदर्शक बनकर मार्गदर्शन कर रहे हैं। वे उन्हें अंगुली पकङकर जीवन लक्ष्य की ओर बढ़ा रहे हैं। 

श्री क्षत्रिय युवक संघ-राजपूत समाज की सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली-shri kshatriy yuvak sangh
भगवान सिंह रोलसाहबसर (फाइल फोटो)


संघ के बारे में सबकुछ जानने के लिये विजिट करे ये साइट

क्षत्रिय युवक संघ की कार्यप्रणाली, संगठन शक्ति और समाज के प्रत्येक वर्ग से संवाद का सफर काफी लंबा है। संघ आज अपने विचार और लक्ष्य के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। संघ की भूमिका और उसके कार्यक्षेत्र को एक या दो आलेख में समेटना बेहद मुश्किल है। संघ की व्यापकता और उसका उद्देश्य काफी विस्तृत हैं। इसे समझने के लिये आप संघ की वेबसाइट https://shrikys.org/ पर विजिट कर सकते हैं। इसके माध्यम से आप संघ की प्रत्येक गतिविध से रू-ब-रू हो सकते हैं।


जय संघ शक्ति। 


Saturday, April 24, 2021

जानिये क्या कहता है इतिहास: खींची चौहान वंश से ताल्लुक रखती थीं पन्नाधाय

जानिये क्या कहता है इतिहास: खींची चौहान वंश से ताल्लुक रखती थी पन्नाधाय
श्यामलदास के वीर विनोद वॉल्यूम-2 में पन्नाधाय की जाति के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया है.

मेवाड़ वंश के महाराणा उदय सिंह की जान बचाने वाली पन्नाधाय खीची चौहान राजपूत परिवार की बेटी थ. इतिहास में सर्वविदित है कि पन्नाधाय ने अपने बेटे चंदन की जान कुर्बान कर मेवाड़ वंश के उदय सिंह के प्राणों की रक्षा की थी। पन्नाधाय की जाति को लेकर इतिहासकारों में कई तरह के मतभेद हैं। लेकिन मेवाड़ की इतिहास की सटीक जानकारी देने वाले महाकवि श्याममलदास द्वारा रचित वीर विनोद के वॉल्यूम-2 का अध्ययन करेंगे कि तो आप पायेंगे कि इसमें पन्नाधाय की जाति को लेकर स्पष्ट उल्लेख किया गया है। 


पन्नाधाय खींची जाति की राजपूतानी थी

इसमें बताया गया है कि पन्नाधाय खींची चौहान वंश की बेटी थी। पन्नाधाय ने मेवाड़ को बचाने के लिये सर्वोच्च बलिदान देते हुये अपने बेटे चंदन की कुर्बानी दे दी थी। मेवाड़ के इतिहास को लेकर सैंकड़ों वृत्तचित्र और एपिसोड प्रकाशित और प्रसारित हो चुके हैं। इन्हीं एपिसोड में एपिक चैनल पर प्रसारित एक एपीसोड में इसे विस्तार से दर्शाया गया है। राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. संबोध गोस्वामी भी पन्नाधाय की जाति को लेकर महाकवि श्याममलदास रचित वीर विनोद का संदर्भ देते हैं। श्यामलदास के वीर विनोद वॉल्यूम-2 में महाराणा उदय सिंह तृतीय प्रकरण में साफ लिखा है कि पन्नाधाय खींची जाति की राजपूतानी थी। 


शिवाजी महाराज और भोंसले वंश का संबंध मेवाड़ के सिसोदिया से है

बरसों से क्षत्रिय और क्षत्रिय मराठा के बीच संबंध को लेकर फैली भ्रांतियों का भी पिछले दिनों पटाक्षेप हुआ था। वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में सिसोदिया वंश के 2 युवराज एक साथ मंच पर आये और इन भ्रांतियों पर विराम लगाया। यह मौका था महाराणा प्रताप के वंशज एवं मेवाड़ के युवराज लक्ष्यराज सिंह और शिवाजी महाराज के वंशज एवं कोल्हापुर के युवराज छत्रपति सम्भाजी के एक मंच पर आने का। इस कार्यक्रम में छत्रपति संम्भाजी ने कहा कि शिवाजी महाराज और भोंसले वंश का संबंध मेवाड़ के सिसोदिया से हैं। 


महाराणा प्रताप के वंशज एवं मेवाड़ के युवराज लक्ष्यराज सिंह
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और  छत्रपति सम्भाजी का यह वीडियो देखेें 


राजसमंद के सिसौदा से है राणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी का संबंध

भोसले वंश मेवाड़ के सिसोदियों से ही निकला है। मतलब साफ है कि महाराणा प्रताप शिवाजी महाराज जी के रक्त संबंध पूर्वज है। राणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी का यह रिश्ता राजसमन्द के सिसौदा से है। सिसौदा से ही दोनों का निकास हुआ है। दोनों सिसोदिया वंश के ही चिराग थे। यह वीडियो उन लोगों का मुंह बंद करने के लिये काफी है जो बरसों से क्षत्रिय और क्षत्रिय मराठा के बीच एक खाई खोदने का काम रहे थे।


इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ कर फैलाया जाता है भ्रम

उल्लेखनीय है कि इतिहास को लेकर हमेशा से इतिहासकारों में मत मतांतर रहा है। इस दौरान इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ से भी गुरेज नहीं किया गया. इतिहास के इन तथ्यों से छेड़छाड़ का मुद्दा कई बार सियासी रण में बदल चुका है। इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ कर राजनीति पार्टियां सियासी फायदा उठाने से भी नहीं चूकती हैं। यहां तक की पार्टियां स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल इतिहास की पुस्तकों में भी अपनी विचारधारा को युवा पीढ़ी पर थोपने से बाज नहीं आते हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ ही इतिहास की किताबों में तथ्यों से छेड़छाड़ होने लग जाती है। राजस्थान में पिछले दिनों महाराणा प्रताप और विश्वविख्यात चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में हुये जौहर को लेकर विवाद पैदा किया जा चुका है। 

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर देशभर में संग्राम छिड़ गया था।
संजय लीला भंसाली की पद्मावत में दीपिका पादुकोण ने लीड रोल निभाया था.

आर्थिक मुनाफे के लिये फिल्मकार भी नहीं चूकते हैं इतिहास से छेड़छाड़ करने से

वहीं फिल्मकार भी अपने आर्थिक मुनाफे के लिये ऐतिहासिक विषयों पर फिल्में बनाकर उन्हें चुटिेले अंदाज में पेश करने से बाज नहीं आते हैं। वे इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ करने से नहीं चूकते हैं। इनको लेकर आये दिन बवाल होता रहता है। करीब तीन साल पहले फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर देशभर में संग्राम छिड़ गया था। बेहद विवादों के बाद विवादास्पद दृश्यों को हटाने के बाद यह फिल्म सिनेमाघरों तक पहुंच पाई थी। पद्मावती से पहले और बाद में भी इतिहास से जुड़ी कई फिल्मों को लेकर विवाद हो चुका है। 

Tuesday, April 20, 2021

madhubani murder case: पुलिस, अपराधियों और राजनीति का बेखौफ गठजोड़, पीड़ितों के लिये कौन आयेगा आगे ?


बिहार के मधुबनी जिले में हत्याकांड के शिकार के हुये मृतकों के बच्चों का खैरख्वाह कौन है


भारत में अपराधों के लिये कुख्यात हो चुके बिहार राज्य के मधुबनी जिले में हुई पांच लोगों की हत्या कोई सामान्य घटना नहीं है। मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाना इलाके के महमदपुर गांव में इस हत्याकांड ने होली के दिन के एक परिवार की खुशियों रंगों को बदरंग कर दिया। यहां राजपूत समाज के एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों समेत पांच लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या का दी गई। इस वारदात ने जातीय संघर्ष की ऐसी लकीर खींच दी जो शायद ही कभी मिटेगी। लेकिन यह घटना कैसी घटी और इसके पीछे क्या कारण रहे। क्या यह हत्याकांड पुलिस, अपराधियों और राजनीति का बेखौफ गठजोड़ का परिणाम था। इसको समझना जरुरी है। 


बेनीपट्टी हत्याकांड पर शुरू हुई राजनीति

होली पर सरेआम हुई इस गंभीर आपराधिक वारदात ने पीड़ित परिवार के बड़े बुजुर्गों को तोड़कर रख दिया है। बच्चों के सपनों को बिखर दिया है। परिवार की महिलाओं को सिसकियों में डूबो दिया है। उसके बाद इस पर जमकर राजनीति शुरू हो गई है। लेकिन मूल सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ ? किसके इशारे पर यह सब हुआ। किसकी मुखबिरी और किसके बुलंद हौंसले के कारण हुआ। उसके बाद उपजे हालात में पीड़ित परिवार का खैरख्वाह आखिर कौन है जो तात्कालिक नहीं बल्कि इन जख्मों को भरने तक उनका संबल बनेगा ? सरकार या समाज। जवाब किसी के पास नहीं है। 


पीड़ित परिवार बेबस है ? गमों में डूबा हुआ है

इस वारदात में शामिल रहे अपराधियों को कब सजा मिलेगी और कब मृतकों की आत्मा को शांति। कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन आज पीड़ित परिवार बेबस है ? गमों में डूबा हुआ है। सबसे बड़ी पीड़ा यह कि अब उस पर राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है। राजनीति और वर्चस्व का दम दिखाया जा रहा है। इन सबकी कीमत कौन चुका रहा है। पीड़ित परिवार। क्यों इस परिवार इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है ? इस परिवार ने किसी का बिगाड़ा था जो उसे यह सजा मिली। यह पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है। अभी आधी अधूरी बातें सामने आ रही हैं। वारदात के पीछे के कारणों को लेकर दावे तो खूब किये जा रहे हैं, लेकिन इनमें सच्चाई कितनी है यह अभी सामने आना बाकी है। 


मधुबनी हत्याकांड के कारण अभी सामने आने बाकी है।।
मधुबनी नरसंहार केस की जांच चल रही है।

सत्ता देख रही है विपक्ष हमलावर हो रहा है

इस पूरे घटनाकम्र के बाद राजनीति चरम पर है और सत्ता देख रही है। विपक्ष सरकार पर हमलावर हो रहा है। पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने और न्याय दिलाने के लिये राजपूत समाज एकजुट होने की कोशिश कर रहा है। सत्ता भी शायद अभी सोच विचार कर रही है कि आखिर किसका पलड़ा भारी है। पीड़ितों का या फिर अपराधियों का। चारों तरफ से न्याय की आवाज गूंज रही है। पीड़ितों के घर रहनुमाओं की भीड़ भी लगी है। शिक्षा और आर्थिक संबल दिये जाने वालों की लंबी लाइनें लगी है। लेकिन फिर भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस परिवार का खैरख्वाह कौन है ?


यह बताये जा रहे हैं हत्या के कारण

मधुबनी नरसंहार को लेकर देशभर में छायी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पूरे कांड की वजह आरोपियों और पीड़ित परिवार दोनों पक्षों के बीच की पुरानी रंजिश को माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट और पुलिस के बयानों के मुताबिक यह रंजिश एक मठ (मंदिर) की जमीन को लेकर है। इस रंजिश के साथ ही दूसरा मामला गत वर्ष नवंबर में उस समय जुड़ गया जब मंदिर की इस जमीन पर बने जलाशय से मछली पकड़ने की बात को लेकर दोनों पक्ष भिड़ गये थे। इससे यह मामला पुलिस और कोर्ट कचहरी पहुंचा। उसके बाद इस मसले को लेकर वर्चस्व और साजिशों का सिलसिला तेज हो गया। 


होली के दिन दिया गया साजिशों का अंजाम

इन साजिशों को अंजाम देने के लिये आरोपी पक्ष ने होली के दिन को चुना और गुलाल से नहीं खून से होली खेल डाली। 29 मार्च को अंजाम दी गई इस वारदात ने बिहार समेत पूरे देश को हिला डाला। ये तो कतई संभव नहीं है कि किसी इलाके में इतनी बड़ी साजिश रची जा रही हो और स्थानीय स्तर पुलिस की खुफिया टोली उससे बेखबर हो। बयान तो कुछ भी दिया जा सकता है, लेकिन उस पर यकीन हो यह जरुरी नहीं है। 

आरोपियों नेे बेनीपट्टी हत्या कांड की साजिश को होली के दिन अंजाम दिया।

इस पूरी कितने राजनीतिक पेंच हैं

नीतिश कुमार सरकार में हुये इस हत्याकांड में जातीय और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में कितने राजनीतिक पेंच है समझना मुश्किल तो नहीं है लेकिन कोई समझना नहीं चाहता है। सवाल केवल सत्ता और पुलिस से ही नहीं है सवाल यह भी है कि आखिरकार पीड़ितों का खैरख्वाह कौन है जो होली के गुलाल में मिले खून को उससे अलग करेगा। तेजस्वनी यादव से लेकर तमाम विपक्षी नेता पीड़ित परिवार को संबल बंधाने आ चुके हैं। लेकिन अभी तक मामले की जड़ तक नहीं पहुंचा जा सका है। पहुंचा जा सकता है लेकिन ना तो पुलिस पहुंचना चाहती है और ना नहीं राजनीति पहुंचने देना चाहती है।   


राजनीति से जु़ड़े कई नाम सामने आये हैं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में नामजद कुल 34 आरोपियों में से 18 ब्राह्मण, 13 राजपूत, 2 अनुसूचित जाति वर्ग से और एक अन्य वर्ग से बताया जा रहा है। आरोपियों की जातीय फेहरिस्त के आधार पर पुलिस का दावा है मामला जातीय संघर्ष का नहीं बल्कि आपसी रंजिश का है। पूरे मामले में राजनीति से जु़ड़े कई नाम सामने आये हैं। कइयों पर अंगुलियां उठ रही है। कहने को तो राज्य के मुखिया नीतीश कुमार का कहना है कि कोई आरोपी बचेगा नहीं। पुलिस का भी दावा है कि जातिगत वर्चस्व का कोई मामला नहीं है। 


आरोप है कि आरोपियों को पुलिस का खुला संरक्षण है

वहीं पुलिस यह भी का कहना है कि अब यह मामला इतना ज्यादा सुर्खियों में आ चुका है कि किसी को संरक्षण मिल सके ऐसा संभव ही नहीं है। दूसरी तरफ पीड़ित परिवार के मुखिया और अन्य परिजनों का आरोप है कि आरोपियों को पुलिस का खुला संरक्षण है। उनकी राजनीति में घुसपैठ अच्छी है। पुलिस अब भले ही आरोपों के बीच वारदात के तार जोड़ने में लगी हो। राजनीतिक दल भले ही एक दूसरे को टारगेट कर रहे हो। सरकार भले ही न्याय की दुहाई दे रही हो। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुये फिर वही यक्ष प्रश्न सामने मुंह बाये खड़ा है कि आखिर पीड़ितों का खैरख्वाह कौन है। सरकार, समाज, पुलिस, न्यायपालिका या फिर ईश्वर। जवाब मिले तो बताइयेगा।  



Saturday, April 17, 2021

कटारिया के बाद मेवाड़ के एक और बीजेपी नेता ने डाला आग में 'घी', जानिये क्या कहा ?


जयपुर में बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर लगे होर्डिंग में कटारिया की फोटो पर स्याही पोतते आक्रोशित युवा. 


उदयपुर. राष्ट्र गौरव वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप को लेकर हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया की ओर से की गई टिप्पणी से मेवाड़ समेत समूचे राजस्थान और देश के अन्य भागों में लोगों में गुस्सा है। लोग जमकर कटारिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके पुतले जला रहे हैं। यहां तक कि बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर लगे होर्डिंग में कटारिया के मुंह पर स्याही पोत दी गई। लोग उनके इस्तीफे और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने समेत कई तरह की मांग कर रहे हैं। हालांकि इस बीच कटारिया सोशल मीडिया के जरिये इस पर माफी मांग चुके हैं, लेकिन लोगों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे प्रदेश में इस मसले पर जमकर बवाल मचा हुआ है। इससे उपचुनाव के ऐन वक्त पर कांग्रेस को भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका मिला गया। इस समय मेवाड़ की राजसमंद विधानसभा सीट का उपचुनाव है। इसी उपचुनाव के प्रचार के दौरान कटारिया ने महाराणा प्रताप पर यह टिप्पणी की। ऐसे माहौल में यह मसला बीजेपी के गले पड़ता जा रहा है। बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार में राज्य के गृह मंत्रालय जैसा अहम महकमा संभाल चुके अपने इस नेता के बयान से पार्टी बैकफुट पर भी दिख रही है.


कई नेता अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं इतिहास का बखान

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और मेवाड़ के दिग्गज नेता माने जाने वाले गुलाबचंद कटारिया से शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी कि वे इस तरह की टिप्पणी करेंगे। कटारिया खुद मेवाड़ से हैं। महाराणा प्रताप से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में बरसों से जुड़े रहे हैं। उसके बाद उनके द्वारा इस तरह की टिप्पणी किया बेहद खेदजनक है. इस दौरान कई अल्पज्ञानी नेता अपने अपने-अपने तरीके से इतिहास का बखान करने से भी नहीं चूक रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब नेताओं और कथित नेताओं द्वारा पहले तो बिना सोचे समझ कुछ भी बोल दिया जाता है। बाद में सोशल मीडिया के जरिये माफी मांग कर इतिश्री कर ली जाती है। उसके बाद नेता के समर्थक और छुटभैया नेता जैसे-तैसे करके उस विवादित बयान को कहीं न कहीं सही साबित करने का प्रयास भी करते हैं. उसे सही साबित करने के लिये वे महज व्हा‌ट्सअप पर वायरल होने के होने वाले कथित ज्ञान के आधार इतिहास के तथ्यों की जानकारी के बिना उसमेें 'कहीं कीं ईंट और कहीं का रोड़ा' जोड़कर आगे बढ़ाकर आग मेें घी डालने काम करते हैं. 


कटारिया के बचाव में उतरे समर्थक नेता ने की यह टिप्पणी

कुछ ऐसा ही इस मामले में भी हुआ है। कटारिया का विरोध बढ़ता देखकर कुछ भाजपाई उनके बचाव में उतर आये। इसके लिये इतिहास के ऐसे-ऐसे तथ्य पेश किये जाने लगे जो सत्यता से बिल्कुल परे हैं। उनकी फिक्र बस इतनी है कि जैसे भी हो नेताजी के मुंह से निकले शब्दबाणों को सही ठहराया जाये। उसके लिये भले ही  इतिहास के तथ्यों को तोड़ मरोड़ दिया जाये। किसी समाज के भावना आहत होती है तो होती रही। बवाल मचेगा तो वो भी माफी मांगकर इतिश्री कर लेंगे। कटारिया की विवादित टिप्पणी के बाद उनके समर्थक मेवाड़ के एक छुटभैया नेता उनसे भी आगे बढ़कर महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह को लेकर फेसबुक पर टिप्पणी कर डाली. बाद में उस पर भी विरोध होता देखकर अपनी पोस्ट को हटा लिया। लेकिन तब तक वह वायरल हो गई. जाहिर है इस तरह के आधे अधूरे ज्ञान और तथ्यों से ना केवल आमजन में भ्रम फैलता है, बल्कि युवा पीढ़ी में भी गलत संदेश जाता है। फेसबुक पर यह टिप्पणी करने वाले नेता भगवती लाल शर्मा हैं। इनकी ओर से फेसबुक पर की गई पोस्ट में लिखा गया है कि राज सत्ता नहीं मिलने के कारण शक्ति सिंह अकबर के पैरों में नतमस्तक हो गए। भगवती लाल शर्मा बीजेपी के कानोड़ मंडल अध्यक्ष बताये जाते हैं। आप भी पढ़िये क्या है वायरल टिप्पणी का मजमून।

भगवती लाल शर्मा द्वारा डाली गई पोस्ट। विरोध होता देखकर बाद में इसे हटा दिया गया. 

इतिहासकारों ने दिया ये जवाब और ये रखे तथ्य

इस वायरल पोस्ट के जवाब में कई इतिहासकारों और प्रबुद्ध लोगों ने कड़ा विरोध जताते हुये प्रतिक्रिया भी दी है और इतिहास से जुड़े तथ्य सामने रखे। इतिहासकारों के अनुसार जगमाल जी से मेवाड़ को वापस महाराणा प्रताप को दिलाने में महाराज शक्तिसिंहजी का अतुलनीय योगदान रहा है। महाराणा प्रताप जब पुनःमेवाड़ की राजगद्दी पर विराजमान हुए तब उस दिन महाराज शक्तिसिंह जी स्वयं उपस्थित थे। महाराणा प्रताप जी ने मनचाही जागीर भेंट करने की बात कही तब महाराज शक्तिसिंहजी ने कहा कि मैं तो भैंसरोडगढ़ में ही ठीक हूं। मुझे को जागीरी की आवश्यकता नहीं है ओर फिर भैंसरोड़गढ़ चले गए। उसके बाद वे अंत समय तक वहीं रहे। हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की तरफ़ से महाराज शक्तिसिंहजी युद्ध लड़े ही नहीं थे। महाराजा मानसिंहजी का एक पुत्र या भतीजा था उनका नाम भी शक्तिसिंह ही था जो हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की सेना में था। शक्तिसिंह जी कच्छावा को महाराज शक्तिसिंह जी सिसोदिया समझकर कुछ इतिहासकारों ने इसे प्रचारित कर दिया जो जनमानस में प्रचलन में आ गया।


 आप भी सुनिये महाराणा प्रताप के बारे में कटारिया ने क्या कहा

उल्लेखनीय है कि राजसमंद विधानसभा क्षेत्र के कुंवारिया गांव में गत 12 अप्रैल को बीजेपी प्रत्याशी दीप्ती माहेश्वरी के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुये राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा प्रताप का उदाहरण देते हुये यह टिप्पणी की थी। इस मामले में हुये विरोध के तत्काल बाद गुलाबचंद कटारिया ने दो बार माफी मांगी। बाद में उन्होंने माफी वाला वीडियो अपने फेसबुक पर शेयर भी किया। कटारिया ने माफी मांगते हुये कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. उनकी भावना ऐसी नहीं थी.  




बीजेपी नेताओं का यह बड़बोलापन पार्टी पर भारी पड़ सकता है

बहरहाल पहले नेताजी और बाद में उनके समर्थकों ने इस तरह की टिप्पणियां कर आग में घी डालने का काम किया है। इससे मामला शांत होने की बजाय और ज्यादा उबलता जा रहा है। भगवती प्रसाद की इस टिप्पणी के बाद क्षत्रिय समाज एक बार फिर उद्वेलित हो रहा है। इसके लिये बीजेपी से जुड़े मेवाड़ क्षत्रिय समाज के लोग पार्टी लाइन से ऊपर से जाने की बात कहने से भी नहीं चूक रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो मेवाड़ ही नहीं प्रदेश के अन्य इलाकों में भी बीजेपी नेताओं का यह बड़बोलापन पार्टी पर भारी पड़ सकता है. 

Tuesday, April 13, 2021

एक समाज, एक मंच, एक विचारधारा, एक लक्ष्य

 


किसी भी समाज की उन्नति के लिये सबसे पहली आवश्यकता है एकजुटता। इस एकजुटता के लिये जरुरी है एक मंच। इस मंच के लिये जरुरी है समाज की सहभागिता। सहभागिता के लिये आवश्यक है संवाद। संवाद के लिये सबसे महत्वपूर्ण है साधन। वर्तमान में यह साधन है 'सोशल मीडिया।' इस मीडिया के माध्यम से आज कोई भी व्यक्ति कहीं भी किसी भी मंच पर अपनी आवाज को पहुंचा सकता है। जरुरी है कि बात में दम हो, तथ्य हो, तर्क हो और वजन हो। यह सब संभव है विचारों के आदान-प्रदान तथा लगातार संवाद तथा आपके आसपास, देश-प्रदेश और विश्वव्यापी जानकारी से। 


वर्तमान समय में हर समाज निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है। वह विषय चाहे शिक्षा का हो, व्यापार का हो, राजनीति का हो या फिर सामाजिक कुरीतियां छोड़ने का। कुछ समाज इस दिशा में बेहद तेजी के साथ सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। कुछ समाज की गति धीमी है। क्षत्रिय समाज भी उन्हीं में शामिल है। इसकी गति को तेज करने के लिये छोटे-छोटे कदम बढ़ाने की जरुरत है। बदलाव एक साथ नहीं आता है, लेकिन उसकी शुरुआत कहीं न कहीं से करनी होती है। जरुरी नहीं कि हर कदम सही हो। हर प्रयास सफल हो। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम प्रयास ही नहीं करें। समाज का इतिहास, वर्तमान और भविष्य किसी भी समाज बंधु से छिपा हुआ नहीं है।  


हर व्यक्ति दूसरे की कामयाबी और असफलता से कुछ न कुछ सीखता है। बेशक दृष्टिकोण उसका अपना होता है। यह सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी। देश दुनिया की जानकारी आज हर कहीं मौजूद है। समाज विशेष की जानकारी और उसमें होने वाली हलचल, उसकी प्रगति के सोपान सार्वजनिक मंचों पर साझा तो होते हैं, लेकिन उनकी जानकारी सीमित होती है। देश-दुनिया के साथ-साथ हमारे समाज में क्या हो रहा है ? कौन समाज बंधु किस क्षेत्र में सफलता के सोपान गढ़ रहा है। कहां समाज में या समाज के साथ गलत हो रहा है। उसकी जानकारी एक मंच पर मिले तो हम उसके माध्यम से एकदूसरे से जुड़ सकते हैं और सहयोग कर सकते हैं. 


भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारें हमारे समाज के लिये क्या कर रही हैं। कौन सी नयी पुरानी योजनायें हमारे लिये फायदेमंद है। कौन सी ऐसी बातें हैं जो हमारे समाज के लिये घातक हैं। किन सरकारी कदमों का समाज पर क्या असर पड़ रहा है। योजनाओं का हम किस तरह से फायदा उठा सकते हैं। किस क्षेत्र में युवाओं के लिये क्या संभावनायें हैं। कौन इन संभावनाओं का दोहन करने में सरकारी और निजी क्षेत्र में उच्च पदस्थ समाज बंधु हमें क्या गाइड कर सकते हैं। कैसे उनकी गाइडेंस का लाभ हम ले सकते हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कौन समाज बंधु क्या बड़ी और अहम भूमिका निभा रहा है। उनसे हमें क्या मदद प्राप्त हो सकती है। इन पर जानकारी साझा करने के लिये यह मंच तैयार किया गया है। 


उम्मीद है इसमें आप सबका का यथायोग्य सहयोग प्राप्त होगा। बस जानकारी सही और सटीक होनी चाहिये ताकि इस मंच की विश्वनयीता बने। जानकारी स्वयं या दूसरे के समाज में राग द्वेष फैलाने वाली नहीं हो। सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक मंच को शुरू करने का प्रयास किया है ताकि यह मंच समाज के लिये कुछ उपयोगी साबित हो सके। हम एक दूसरे से कुछ सीख सकें। एक दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ सकें। मंच को और बेहतर तथा उपयोगी बनाने के लिये आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं। जल्द ही इसका फेसबुक फेज और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी उपस्थिति दर्ज कराई जायेगी।

समाज की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने वाली प्रोग्रेसिव और रचनात्मक जानकारी साझा करने के लिये इस Mail ID पर सामग्री भेज सकते हैं। kshatradharma777@gmail.com


सादर। 

जय क्षात्र धर्म।