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श्यामलदास के वीर विनोद वॉल्यूम-2 में पन्नाधाय की जाति के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया है. |
मेवाड़ वंश के महाराणा उदय सिंह की जान बचाने वाली पन्नाधाय खीची चौहान राजपूत परिवार की बेटी थ. इतिहास में सर्वविदित है कि पन्नाधाय ने अपने बेटे चंदन की जान कुर्बान कर मेवाड़ वंश के उदय सिंह के प्राणों की रक्षा की थी। पन्नाधाय की जाति को लेकर इतिहासकारों में कई तरह के मतभेद हैं। लेकिन मेवाड़ की इतिहास की सटीक जानकारी देने वाले महाकवि श्याममलदास द्वारा रचित वीर विनोद के वॉल्यूम-2 का अध्ययन करेंगे कि तो आप पायेंगे कि इसमें पन्नाधाय की जाति को लेकर स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
पन्नाधाय खींची जाति की राजपूतानी थी
इसमें बताया गया है कि पन्नाधाय खींची चौहान वंश की बेटी थी। पन्नाधाय ने मेवाड़ को बचाने के लिये सर्वोच्च बलिदान देते हुये अपने बेटे चंदन की कुर्बानी दे दी थी। मेवाड़ के इतिहास को लेकर सैंकड़ों वृत्तचित्र और एपिसोड प्रकाशित और प्रसारित हो चुके हैं। इन्हीं एपिसोड में एपिक चैनल पर प्रसारित एक एपीसोड में इसे विस्तार से दर्शाया गया है। राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. संबोध गोस्वामी भी पन्नाधाय की जाति को लेकर महाकवि श्याममलदास रचित वीर विनोद का संदर्भ देते हैं। श्यामलदास के वीर विनोद वॉल्यूम-2 में महाराणा उदय सिंह तृतीय प्रकरण में साफ लिखा है कि पन्नाधाय खींची जाति की राजपूतानी थी।
शिवाजी महाराज और भोंसले वंश का संबंध मेवाड़ के सिसोदिया से है
बरसों से क्षत्रिय और क्षत्रिय मराठा के बीच संबंध को लेकर फैली भ्रांतियों का भी पिछले दिनों पटाक्षेप हुआ था। वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में सिसोदिया वंश के 2 युवराज एक साथ मंच पर आये और इन भ्रांतियों पर विराम लगाया। यह मौका था महाराणा प्रताप के वंशज एवं मेवाड़ के युवराज लक्ष्यराज सिंह और शिवाजी महाराज के वंशज एवं कोल्हापुर के युवराज छत्रपति सम्भाजी के एक मंच पर आने का। इस कार्यक्रम में छत्रपति संम्भाजी ने कहा कि शिवाजी महाराज और भोंसले वंश का संबंध मेवाड़ के सिसोदिया से हैं।
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लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और छत्रपति सम्भाजी का यह वीडियो देखेें |
राजसमंद के सिसौदा से है राणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी का संबंध
भोसले वंश मेवाड़ के सिसोदियों से ही निकला है। मतलब साफ है कि महाराणा प्रताप शिवाजी महाराज जी के रक्त संबंध पूर्वज है। राणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी का यह रिश्ता राजसमन्द के सिसौदा से है। सिसौदा से ही दोनों का निकास हुआ है। दोनों सिसोदिया वंश के ही चिराग थे। यह वीडियो उन लोगों का मुंह बंद करने के लिये काफी है जो बरसों से क्षत्रिय और क्षत्रिय मराठा के बीच एक खाई खोदने का काम रहे थे।
इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ कर फैलाया जाता है भ्रम
उल्लेखनीय है कि इतिहास को लेकर हमेशा से इतिहासकारों में मत मतांतर रहा है। इस दौरान इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ से भी गुरेज नहीं किया गया. इतिहास के इन तथ्यों से छेड़छाड़ का मुद्दा कई बार सियासी रण में बदल चुका है। इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ कर राजनीति पार्टियां सियासी फायदा उठाने से भी नहीं चूकती हैं। यहां तक की पार्टियां स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल इतिहास की पुस्तकों में भी अपनी विचारधारा को युवा पीढ़ी पर थोपने से बाज नहीं आते हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ ही इतिहास की किताबों में तथ्यों से छेड़छाड़ होने लग जाती है। राजस्थान में पिछले दिनों महाराणा प्रताप और विश्वविख्यात चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में हुये जौहर को लेकर विवाद पैदा किया जा चुका है।
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संजय लीला भंसाली की पद्मावत में दीपिका पादुकोण ने लीड रोल निभाया था. |
आर्थिक मुनाफे के लिये फिल्मकार भी नहीं चूकते हैं इतिहास से छेड़छाड़ करने से
वहीं फिल्मकार भी अपने आर्थिक मुनाफे के लिये ऐतिहासिक विषयों पर फिल्में बनाकर उन्हें चुटिेले अंदाज में पेश करने से बाज नहीं आते हैं। वे इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ करने से नहीं चूकते हैं। इनको लेकर आये दिन बवाल होता रहता है। करीब तीन साल पहले फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर देशभर में संग्राम छिड़ गया था। बेहद विवादों के बाद विवादास्पद दृश्यों को हटाने के बाद यह फिल्म सिनेमाघरों तक पहुंच पाई थी। पद्मावती से पहले और बाद में भी इतिहास से जुड़ी कई फिल्मों को लेकर विवाद हो चुका है।
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