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कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। |
कोरोना काल (Corona era) में इसकी दूसरी लहर से दुनियाभर में भय का माहौल है। संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है और मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। मरीज बढ़ रहे हैं संसाधन कम पड़ रहे हैं। राजस्थान (Rajasthan) में भी हालात भयावह होते जा रहे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात काबू में नहीं आ रहे हैं लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य (Surprise) होगा कि राजस्थान में आज के हालात में भी बड़े शहरों में वे ही अस्पताल कोरोना मरीजों को संभाले हुये जिनकी नींव बरसों पहले राजस्थान के विभिन्न राजपूत राजा-महाराजाओं (Rajput King-Maharajas) ने रखी थी।
हजारों मरीजों के लिये जीवनरेखा बने हुये हैं ये अस्पताल
यह बात दीगर है कि राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी जैसे कुछ तथाकथित बु्द्धिजीवी राज-महाराजाओं की मंशा पर गाहे-बगाहे सवाल उठाते हुये उन्हें खलनायक बताने से नहीं चूकते, लेकिन वे भूल जाते हैं कि राजस्थान में आज भी बड़े सरकारी एवं सार्वजनिक भवन वे चाहे अस्पताल हों या फिर कचरही सभी तत्कालीन राजा महाराजाओं की ही देन है। इन इमारतों की नींव इतनी मजबूत है कि वे आधुनिक समय में अल्ट्रा मॉर्डन और मजबूत कही जाने वाली बिल्डिंगों के मुकाबले आज भी शान से खड़ी हैं। वर्तमान हालात में अस्पताल सबसे ज्यादा अहम हो रहे हैं। आज हम आपको बताते हैँ राजस्थान के वे बड़े अस्पताल जिन्हें राजपूत राजाओं ने बनावाया और वे कोरोना काल में हजारों मरीजों के लिये जीवन रेखा बने हुये हैं।
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सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर। |
सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर
राजस्थान का सबसे बड़ा और देशभर में ख्याति प्राप्त सवाई मानसिंह अस्पताल का निर्माण 1934 में शुरू किया गया था। यह 1936 में बनकर तैयार हुआ। इसका नाम जयपुर के तत्त्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह के नाम पर रखा गया। शुरुआत में इसे 200 बेड का अस्पताल बनाया गया था। लेकिन अस्पताल के के लिये इतनी रिजर्व जमीन रखी गई कि वह आने वाले 80-90 बरसों में पर्याप्त रूप से अपना विस्तार कर सके। आज इस अस्पताल में 4200 बेड हैं। इसमें 1500 डॉक्टर और रेजिडेंट डॉक्टर हैँ। वहीं करीब 1800 का नर्सिंग स्टाफ है। आज इस अस्पताल पर पूरे प्रदेश का भार है क्योंकि यहां सभी सुविधायें उपलब्ध हैं।
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महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर। |
महात्मा गांधी अस्पताल एवं उम्मेद अस्पताल, जोधपुर
महात्मा गांधी अस्पताल को जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह ने 1932 में बनवाया था। उस समय अस्पताल का नाम विंडम अस्पताल रखा गया था। बाद में इसे ही 1949 में महात्मा गांधी अस्पताल नाम दे दिया गया। पहले अस्पताल की क्षमता 500 बेड की थी। उसका अब विस्तार कर दिया गया है। महाराजा उम्मेद सिंह ने इसके बाद 1938 में महिलाओं के अलग से उम्मेद जनाना अस्पताल का निर्माण करवाया। इसमें शुरुआत में 66 कॉटेज वार्ड के साथ एक हजार बेड की क्षमता रखी गई। बाद में इसकी सुविधाओं में और विस्तार कर दिया गया। ये दोनों अस्पताल आज स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जोधपुर संभाग की बैक बोन हैं।
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महाराणा भूपाल अस्पताल, उदयपुर। |
विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं लेकसिटी उदयपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल महाराणा भूपाल अस्पताल का निर्माण 1937 में उदयपुर के तत्कालीन महाराणा ने करवाया। उस समय इस अस्पताल की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई। बाद में इसकी सुविधाओं में विस्तार होता गया। वर्तमान में यहां 1500 बेड हैं। यहां भी चिकित्सा संबंधी लगभग सभी सुविधायें उपलब्ध हैं। यह अस्पताल राजस्थान से सटे मध्यप्रदेश के लोगों के लिये भी जीवन रेखा बना हुआ है।
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महाराव भीम सिंह अस्पताल, कोटा। |
महाराव भीम सिंह अस्पताल, कोटा
कोटा संभाग के इस सबसे बड़े अस्पताल के लिये कोटा के महाराव भीम सिंह ने अपने पोलो ग्राउंड की जमीन दी थी। वर्ष 1952 में इसकी नीवं रखी गई। यह पांच साल में बनकर तैयार हुआ और 1958 में महाराव भीम सिंह ने इसका उद्घाटन किया। आज इस अस्पताल की क्षमता करीब 750 बेड की है। यहां भी आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी प्रमुख सुविधायें उपलब्ध है। यह अस्पताल भी हाड़ौती संभाग के कोटा-बूंदी, झालावाड़ और बारां जिले की बैक बोन है। यहां भी हाड़ौती संभाग के साथ ही इससे सटे मध्यप्रदेश राज्य के कई लोग इलाज करवाने आते हैं।
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पीबीएम अस्पताल, बीकानेर। |
पीबीएम अस्पताल, बीकानेर
आधुनिकता और विकास कार्यों के लिये दुनियाभर में पहचाने जाने वाले बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराज गंगा सिंह ने 1937 में इसका निर्माण करवाया। शुरुआती दौर में इसमें कोटेज वार्ड समेत 244 बेड की व्यवस्था रखी गई। इनमें 137 बेड पुरुषों और 107 महिलाओं के बेड रखे गये थे। कालांतार में इस अस्पताल का भी अच्छा विकास हुआ। आज इस अस्पताल की क्षमता करीब 1700 बेड है। किसी समय यह अस्पताल अपने संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण नार्थ इंडिया का बेहतरीन अस्पताल था।
प्रदेश में दर्जनों अस्पताल राजा महाराजाओं के नाम पर हैं
इनके अलावा प्रदेशभर में पुराने समय में राजा महाराजाओं ने कई अस्पतालों और डिस्पेंसरियों का निर्माण कराया। वहीं कहीं अस्पतालों के लिये जमीनें उपलब्ध करवाई। प्रदेश के दर्जनों अस्पताल राजा महाराजाओं के नाम पर हैं। इन अस्पतालों के भवन इतने खुले स्वरूप में मजबूत बनाये गये थे कि आज भी शान से खड़े प्रदेश की जनता को चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवा रहे हैं।
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