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Sunday, May 9, 2021

कोरोना काल: चिकित्सा व्यवस्थाओं में राजस्थान के राजा-महाराजाओं की अतुलनीय देन हैं ये बड़े अस्पताल

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कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है।

कोरोना काल (Corona era) में इसकी दूसरी लहर से दुनियाभर में भय का माहौल है। संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है और मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। मरीज बढ़ रहे हैं संसाधन कम पड़ रहे हैं। राजस्थान (Rajasthan) में भी हालात भयावह होते जा रहे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात काबू में नहीं आ रहे हैं लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य (Surprise) होगा कि राजस्थान में आज के हालात में भी बड़े शहरों में वे ही अस्पताल कोरोना मरीजों को संभाले हुये जिनकी नींव बरसों पहले राजस्थान के विभिन्न राजपूत राजा-महाराजाओं (Rajput King-Maharajas) ने रखी थी। 


हजारों मरीजों के लिये जीवनरेखा बने हुये हैं ये अस्पताल

यह बात दीगर है कि राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी जैसे कुछ तथाकथित बु्द्धिजीवी राज-महाराजाओं की मंशा पर गाहे-बगाहे सवाल उठाते हुये उन्हें खलनायक बताने से नहीं चूकते, लेकिन वे भूल जाते हैं कि राजस्थान में आज भी बड़े सरकारी एवं सार्वजनिक भवन वे चाहे अस्पताल हों या फिर कचरही सभी तत्कालीन राजा महाराजाओं की ही देन है। इन इमारतों की नींव इतनी मजबूत है कि वे आधुनिक समय में अल्ट्रा मॉर्डन और मजबूत कही जाने वाली बिल्डिंगों के मुकाबले आज भी शान से खड़ी हैं। वर्तमान हालात में अस्पताल सबसे ज्यादा अहम हो रहे हैं। आज हम आपको बताते हैँ राजस्थान के वे बड़े अस्पताल जिन्हें राजपूत राजाओं ने बनावाया और वे कोरोना काल में हजारों मरीजों के लिये जीवन रेखा बने हुये हैं। 


स्मृति शेष: इस टीस के साथ दुनिया से विदा हुए राजपूत सभाध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा, इसकी गहराई को समझिये


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सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर।

सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर

राजस्थान का सबसे बड़ा और देशभर में ख्याति प्राप्त सवाई मानसिंह अस्पताल का निर्माण 1934 में शुरू किया गया था। यह 1936 में बनकर तैयार हुआ। इसका नाम जयपुर के तत्त्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह के नाम पर रखा गया। शुरुआत में इसे 200 बेड का अस्पताल बनाया गया था। लेकिन अस्पताल के के लिये इतनी रिजर्व जमीन रखी गई कि वह आने वाले 80-90 बरसों में पर्याप्त रूप से अपना विस्तार कर सके। आज इस अस्पताल में 4200 बेड हैं। इसमें 1500 डॉक्टर और रेजिडेंट डॉक्टर हैँ। वहीं करीब 1800 का नर्सिंग स्टाफ है। आज इस अस्पताल पर पूरे प्रदेश का भार है क्योंकि यहां सभी सुविधायें उपलब्ध हैं।   

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महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर।

महात्मा गांधी अस्पताल एवं उम्मेद अस्पताल, जोधपुर

महात्मा गांधी अस्पताल को जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह ने 1932 में बनवाया था। उस समय अस्पताल का नाम विंडम अस्पताल रखा गया था। बाद में इसे ही 1949 में महात्मा गांधी अस्पताल नाम दे दिया गया। पहले अस्पताल की क्षमता 500 बेड की थी। उसका अब विस्तार कर दिया गया है। महाराजा उम्मेद सिंह ने इसके बाद 1938 में महिलाओं के अलग से उम्मेद जनाना अस्पताल का निर्माण करवाया। इसमें शुरुआत में 66 कॉटेज वार्ड के साथ एक हजार बेड की क्षमता रखी गई। बाद में इसकी सुविधाओं में और विस्तार कर दिया गया। ये दोनों अस्पताल आज स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जोधपुर संभाग की बैक बोन हैं।

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महाराणा भूपाल अस्पताल, उदयपुर।

  महाराणा भूपाल अस्पताल, उदयपुर

विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं लेकसिटी उदयपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल महाराणा भूपाल अस्पताल का निर्माण 1937 में उदयपुर के तत्कालीन महाराणा ने करवाया। उस समय इस अस्पताल की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई। बाद में इसकी सुविधाओं में विस्तार होता गया। वर्तमान में यहां 1500 बेड हैं। यहां भी चिकित्सा संबंधी लगभग सभी सुविधायें उपलब्ध हैं। यह अस्पताल राजस्थान से सटे मध्यप्रदेश के लोगों के लिये भी जीवन रेखा बना हुआ है। 

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महाराव भीम सिंह अस्पताल, कोटा।

महाराव भीम सिंह अस्पताल, कोटा

कोटा संभाग के इस सबसे बड़े अस्पताल के लिये कोटा के महाराव भीम सिंह ने अपने पोलो ग्राउंड की जमीन दी थी। वर्ष 1952 में इसकी नीवं रखी गई। यह पांच साल में बनकर तैयार हुआ और 1958 में महाराव भीम सिंह ने इसका उद्घाटन किया। आज इस अस्पताल की क्षमता करीब 750 बेड की है। यहां भी आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी प्रमुख सुविधायें उपलब्ध है। यह अस्पताल भी हाड़ौती संभाग के कोटा-बूंदी, झालावाड़ और बारां जिले की बैक बोन है। यहां भी हाड़ौती संभाग के साथ ही इससे सटे मध्यप्रदेश राज्य के कई लोग इलाज करवाने आते हैं।

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पीबीएम अस्पताल, बीकानेर।

पीबीएम अस्पताल, बीकानेर

आधुनिकता और विकास कार्यों के लिये दुनियाभर में पहचाने जाने वाले बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराज गंगा सिंह ने 1937 में इसका निर्माण करवाया। शुरुआती दौर में इसमें कोटेज वार्ड समेत 244 बेड की व्यवस्था रखी गई। इनमें 137 बेड पुरुषों और 107 महिलाओं के बेड रखे गये थे। कालांतार में इस अस्पताल का भी अच्छा विकास हुआ। आज इस अस्पताल की क्षमता करीब 1700 बेड है। किसी समय यह अस्पताल अपने संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण नार्थ इंडिया का बेहतरीन अस्पताल था। 

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प्रदेश में दर्जनों अस्पताल राजा महाराजाओं के नाम पर हैं

इनके अलावा प्रदेशभर में पुराने समय में राजा महाराजाओं ने कई अस्पतालों और डिस्पेंसरियों का निर्माण कराया। वहीं कहीं अस्पतालों के लिये जमीनें उपलब्ध करवाई। प्रदेश के दर्जनों अस्पताल राजा महाराजाओं के नाम पर हैं। इन अस्पतालों के भवन इतने खुले स्वरूप में मजबूत बनाये गये थे कि आज भी शान से खड़े प्रदेश की जनता को चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवा रहे हैं। 


Saturday, May 1, 2021

स्मृति शेष: इस टीस के साथ दुनिया से विदा हुए राजपूत सभाध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा, इसकी गहराई को समझिये

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गिरिराज सिंह लोटवाड़ा

 श्री राजपूत सभा (Shri-Rajput-Sabha) जयपुर के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा अब हमारे बीच नहीं रहे। बरसों तक समाज सेवा में जुटे रहे गिरिराज सिंह लोटवाड़ा (Giriraj Singh Lotwara)  ने गुरुवार को सुबह अंतिम सांस ली। कोरोना संक्रमण (Corona infection) से पीड़ित लोटवाड़ा अंतिम सांस तक समाज सेवा से जुड़े रहे। दुख की बात तो यह है कि लोटवाड़ा मन में एक टीस लेकर दुनिया से अलविदा हुये। यह टीस थी सिस्टम की लापरवाही से हो रही आमजन परेशानी की। यह टीस थी दूसरों को सुरक्षित रखने की और सिस्टम को 'सिस्टम' में लाने की। 


इस दर्द की गहराई की इंतिहा को समझें

लोटवाड़ा ने अपनी इस टीस को अपने स्वर्गवास से एक सप्ताह पूर्व सोशल मीडिया में बयां किया था। आप भी पढ़िए, जानिए और इस टीस को समझिये। पार्टी पॉलिटिक्स को परे रखकर इस टीस को महसूस कीजिये। इस दर्द की गहराई की इंतिहा को समझने की कोशिश कीजिए। बाकी परिणाम तो आज आपके सामने है ही। लोटवाड़ा ने अपनी इस टीस को फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिये 19 अप्रेल को सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर शेयर किया था। 


पढ़िये गिरिराज सिंह लोटवाड़ा की पीड़ा उन्हीं के शब्दों में

गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि ''आज सुबह 9 बजे 70 km गाड़ी में आ जा कर covid का टेस्ट करवाया। मैं आभारी हूं महुआ chc के पूर्ण स्टॉफ डाक्टर्स ने आत्मीयता दिखाते हुए टेस्ट किया। मैं उनको धन्यवाद औए आभार प्रकट करता हु। परंतु मन में एक पीड़ा है। मैंने चिकित्सा मंत्री जी को निवेदन किया था कि टेस्ट की व्यवस्था मरीज़ के घर या गांव phc में व्यवस्था करवाई जावे। पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। मेरा मतलब स्वयं की जांच से नहीं था पर मंत्री जी वो दिन भूल गये जो तीन बार चुनाव हार चुके और उप चुनाव में अजमेर से चुनाव लड़ा।'' 


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लोटवाड़ा ने मन में दबी अपनी टीस को फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिये शेयर किया।

राजपूत समाज सिर्फ स्वाभिमान को लेकर जिन्दा है

लोटवाड़ा ने आगे अपना दर्द बयां करते हुये लिखा ''हमारा समाज जो bjp का कट्टर समर्थक था पर आप राजपूत सभा पधारे और समाज को आश्वस्त किया कि वे समाज के साथ खड़े रहेंगे। पर आप तो चुनाव जीतने के बाद आज तक राजपूत सभा नहीं पधारे। आप फिर mla का चुनाव लड़ लिए और विजयी हुए लेकिन आज तक आपका समर्थन करने वाले मिलने को भी तरस गए। मंत्रीजी विनम्र निवेदन है अहंकार होता है पद के साथ पर अपने सहयोगियों को नज़र अंदाज करना कहां तक जायज है। राजपूत समाज सिर्फ स्वाभिमान को लेकर जिन्दा है। आपको कुर्सी मुबारक, जै हिन्द,जै भारत।।।''


सहयोग के बदले रुसवाई मिले तो क्या किया जाये ?

किसी समाज को सामाजिक स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने वाले व्यक्ति की यह पीड़ा अपने आप में बहुत कुछ कहती है। कई बार इंसान जब बोलकर कुछ नहीं कह पाता है वह उसे कागज पर उतार देता है। अब जमाना कागज का नहीं सोशल मीडिया का है, लिहाजा लोटवाड़ा ने अपनी टीस को उस पर उतार दिया। उनकी यह टीस बहुत कुछ कहती है। उनकी यह टीस बताती है कि जब कोई समाज किसी भी पार्टी के नेता के समर्थन में किसी संस्था के माध्यम से कुछ करता है तो उसे अंदरुनी स्तर कई झंझावातों को झेलना पड़ता है। कुछ रूठ जाते हैं तो उन्हें मनाना पड़ता है। समाज का हर इंसान समाज का नेतृत्व करने वाले के फैसले से खुश नहीं होता है। लेकिन भी फिर भी संस्था बड़ी होती है। व्यक्ति नहीं। लेकिन बाद में जब उसी संस्था या समाज को बदले में रुसवाई मिलती है तो पीड़ा होना लाजिमी है। 


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लोटवाड़ा ने कहा कि राजपूत समाज सिर्फ स्वाभिमान को लेकर जिन्दा है।

टीस गहरा असर दिखाती है, वह कभी कभी नश्तर बन जाती है

कभी कभी यह पीड़ा व्यक्ति विशेष से लेकर समाज तक में घर कर जाती है। वह बड़ा नश्तर भी बन जाती है। उसके परिणाम भविष्य में नकारात्मक भी हो सकते हैं। बाद यह बाद दीगर है कि उसे समझने में कुछ समय लग जाये, लेकिन वह कहीं ना कहीं अपना असर जरुर दिखाती है। किसी भी नेता की कुर्सी का समय बड़ा अल्प होता है। उस अल्प समय में भी सैंकड़ों लोग उस कुर्सी पर नजर गड़ाये हुये हैं। कुर्सी पर बैठने वाला अगर थोड़ी सी भी असावधानी बरतता है तो उसे भविष्य में उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। 


एक या दो वोट भी नेता की कुर्सी खींचने में सक्षम होते हैं

कई बार यह कीमत भले ही सैंकड़ों या हजारों वोट के रूप में नहीं हो, लेकिन एक या दो वोट चोट भी बहुत बड़ी होती है। ये एक या दो वोट किसी भी जनाधार वाले या दमदार नेता की कुर्सी खींचने में सक्षम होते हैं। राजस्थान से लेकर पूरे देश की जनता तक इस 1 वोट की कीमत देख चुका है। 1 वोट की कीमत सरकार गिरा भी सकती है और सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के बाद नेता की टांग खींच भी सकती है। क्योंकि जीत से ज्यादा टीस बड़ी होती है। टीस दिखती नहीं है लेकिन असर गहरा दिखाती है। 



Sunday, April 25, 2021

श्री क्षत्रिय युवक संघ: राजपूत समाज की सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली

राजपूत समाज की 'सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली' है श्री क्षत्रिय युवक संघ-Founder of Shri kshatriy yuvak sangh Tan Singh Barmer
श्री तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक निर्वाचित हुए।

आधुनिक भारत में आजादी से करीब दो वर्ष पहले सन् 1944 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पिलानी राजपूत छात्रावास में शुरू हुआ 'श्री क्षत्रिय युवक संघ' देशभर में क्षत्रिय समाज की 'सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली' है। शुरुआती दौर में अन्य संस्थाओं की तरह कार्य करने वाली यह संस्था आज देशभर में समग्र क्षत्रिय समाज को संस्कारित करने की दिशा में कार्यरत अग्रणी संस्था है। 22 दिसंबर, 1946 को श्री क्षत्रिय युवक संघ अपने वर्तमान स्वरूप में सामने आया। उसके बाद से यह लगातार क्षत्रिय समाज को क्षत्रियोचित्त व्यवहार, संस्कार और मूल्यों के आधार पर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। 


श्री तन सिंह जी द्वारा संघ की स्थापना की गई

श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना परम पूज्य श्री तन सिंह जी द्वारा की गई। आपका जन्म 25 जनवरी 1924 तद्नुसार माघ कृष्णा चतुर्थी संवत 1980 को अपने ननिहाल बैरसियाला (जैसलमेर) में हुआ। श्री तन सिंह जी पिता बाड़मेर के रामदेरिया गांव के ठाकुर बलवंत सिंह महेचा एवं ममतामयी माता श्रीमती मोतीकंवर जी सोढ़ा थीं। श्री तन सिंह जी शिक्षा दीक्षा राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, झुंझुनूं के पिलानी और महाराष्ट्र के नागपुर में हुई। आपने नागपुर से वकालत की पढ़ाई पूरी कर बाड़मेर में वकालत की। पूज्य तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक थे। श्री तन सिंह जी ने अपनी लेखनी अनूठा साहित्य भी लिखा। आपकी 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ये पुस्तकें आज पथप्रेरक के रूप में संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन कर रही हैं।


श्री तन सिंह जी का राजनीतिक-सामाजिक सफर

श्री तन सिंह जी 1949 में बाड़मेर नगरपालिका के प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उसके बाद 1952 के आम चुनावों में महज 28 वर्ष की उम्र में बाड़मेर से ही राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। उस समय वे कुछ समय के लिए संयुक्त विपक्ष के नेता भी रहे। उसके बाद 1957 में श्री तन सिंह जी फिर विधायक बने। आप 1962 में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। उसके बाद श्री तन सिंह जी 1967 का चुनाव हार गए तो उन्होंने स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ किया। इस दौरान अपने कई साथियों को रोजगार उपलब्ध करवाया। 1977 में वे पुनः इसी क्षेत्र से सांसद चुने गए। 7 दिसंबर 1979 पूज्य श्री तन सिंह जी का देवलोकगमन हो गया। आपने अपने संपूर्ण जीवनकाल में किंकर्त्तव्यविमूढ क्षत्रिय समाज को उसका नैसर्गिक मार्ग प्रदान करने का कार्य किया। 

tan singh barmer founder of shri kshatriy yuvak sangh-लीडिंग लीडर ऑफ राजपूज समाज तन सिंह बाड़मेर
तन सिंह 28 वर्ष की उम्र में बाड़मेर से राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। फाइल फोटो


वर्तमान में श्री भगवान सिंह जी रोलसाहबसर के पास है संघ की जिम्मेदारी

श्री तनसिंह जी संघ के प्रथम संचालक निर्वाचित हुए। उसके बाद 1949 में श्री तनसिंह जी पुनः संघप्रमुख निर्वाचित हुए। 1954 में उन्होंने स्वयं निर्वाचन प्रक्रिया से अलग रहकर अपने निकटतम सहयोगी श्री आयुवान सिंह हुडील को संघप्रमुख बनवाया। 1959 में भी तनसिंह जी ने फिर ऐसा ही किया। आयुवान सिंह जी द्वारा पूर्ण कालिक राजनीति में जाने के लिए त्यागपत्र देने के बाद श्री तनसिंह जी पुनः संघप्रमुख चुने गए और 1969 तक संघप्रमुख रहे। 1969 में श्री तन सिंह जी ने संगठन के युवा नेतृत्व को आगे लाते हुये अपने श्रेष्ठतम अनुयायी श्री नारायणसिंह जी रेड़ा को संघप्रमुख बनाया। श्री नारायण सिंह जी ने दस वर्ष तक संघ को सींचा। उन्होंने 1979 से 1989 तक संघ प्रमुख के रूप में संघ का संचालन किया। उसके बाद संघ का संचालन वर्तमान संघ प्रमुख श्री भगवान सिंह रोलसाहबसर के पास आया। वे संघ के चौथे संघ प्रमुख हैं। श्री भगवानसिंह जी आज अपने प्रत्येक सहयोगी के लिए अनासक्त एवं निर्विकार मार्गदर्शक बनकर मार्गदर्शन कर रहे हैं। वे उन्हें अंगुली पकङकर जीवन लक्ष्य की ओर बढ़ा रहे हैं। 

श्री क्षत्रिय युवक संघ-राजपूत समाज की सामूहिक संस्कारमयी मनावैज्ञानिक कर्मप्रणाली-shri kshatriy yuvak sangh
भगवान सिंह रोलसाहबसर (फाइल फोटो)


संघ के बारे में सबकुछ जानने के लिये विजिट करे ये साइट

क्षत्रिय युवक संघ की कार्यप्रणाली, संगठन शक्ति और समाज के प्रत्येक वर्ग से संवाद का सफर काफी लंबा है। संघ आज अपने विचार और लक्ष्य के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। संघ की भूमिका और उसके कार्यक्षेत्र को एक या दो आलेख में समेटना बेहद मुश्किल है। संघ की व्यापकता और उसका उद्देश्य काफी विस्तृत हैं। इसे समझने के लिये आप संघ की वेबसाइट https://shrikys.org/ पर विजिट कर सकते हैं। इसके माध्यम से आप संघ की प्रत्येक गतिविध से रू-ब-रू हो सकते हैं।


जय संघ शक्ति। 


Tuesday, April 13, 2021

एक समाज, एक मंच, एक विचारधारा, एक लक्ष्य

 


किसी भी समाज की उन्नति के लिये सबसे पहली आवश्यकता है एकजुटता। इस एकजुटता के लिये जरुरी है एक मंच। इस मंच के लिये जरुरी है समाज की सहभागिता। सहभागिता के लिये आवश्यक है संवाद। संवाद के लिये सबसे महत्वपूर्ण है साधन। वर्तमान में यह साधन है 'सोशल मीडिया।' इस मीडिया के माध्यम से आज कोई भी व्यक्ति कहीं भी किसी भी मंच पर अपनी आवाज को पहुंचा सकता है। जरुरी है कि बात में दम हो, तथ्य हो, तर्क हो और वजन हो। यह सब संभव है विचारों के आदान-प्रदान तथा लगातार संवाद तथा आपके आसपास, देश-प्रदेश और विश्वव्यापी जानकारी से। 


वर्तमान समय में हर समाज निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है। वह विषय चाहे शिक्षा का हो, व्यापार का हो, राजनीति का हो या फिर सामाजिक कुरीतियां छोड़ने का। कुछ समाज इस दिशा में बेहद तेजी के साथ सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। कुछ समाज की गति धीमी है। क्षत्रिय समाज भी उन्हीं में शामिल है। इसकी गति को तेज करने के लिये छोटे-छोटे कदम बढ़ाने की जरुरत है। बदलाव एक साथ नहीं आता है, लेकिन उसकी शुरुआत कहीं न कहीं से करनी होती है। जरुरी नहीं कि हर कदम सही हो। हर प्रयास सफल हो। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम प्रयास ही नहीं करें। समाज का इतिहास, वर्तमान और भविष्य किसी भी समाज बंधु से छिपा हुआ नहीं है।  


हर व्यक्ति दूसरे की कामयाबी और असफलता से कुछ न कुछ सीखता है। बेशक दृष्टिकोण उसका अपना होता है। यह सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी। देश दुनिया की जानकारी आज हर कहीं मौजूद है। समाज विशेष की जानकारी और उसमें होने वाली हलचल, उसकी प्रगति के सोपान सार्वजनिक मंचों पर साझा तो होते हैं, लेकिन उनकी जानकारी सीमित होती है। देश-दुनिया के साथ-साथ हमारे समाज में क्या हो रहा है ? कौन समाज बंधु किस क्षेत्र में सफलता के सोपान गढ़ रहा है। कहां समाज में या समाज के साथ गलत हो रहा है। उसकी जानकारी एक मंच पर मिले तो हम उसके माध्यम से एकदूसरे से जुड़ सकते हैं और सहयोग कर सकते हैं. 


भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारें हमारे समाज के लिये क्या कर रही हैं। कौन सी नयी पुरानी योजनायें हमारे लिये फायदेमंद है। कौन सी ऐसी बातें हैं जो हमारे समाज के लिये घातक हैं। किन सरकारी कदमों का समाज पर क्या असर पड़ रहा है। योजनाओं का हम किस तरह से फायदा उठा सकते हैं। किस क्षेत्र में युवाओं के लिये क्या संभावनायें हैं। कौन इन संभावनाओं का दोहन करने में सरकारी और निजी क्षेत्र में उच्च पदस्थ समाज बंधु हमें क्या गाइड कर सकते हैं। कैसे उनकी गाइडेंस का लाभ हम ले सकते हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कौन समाज बंधु क्या बड़ी और अहम भूमिका निभा रहा है। उनसे हमें क्या मदद प्राप्त हो सकती है। इन पर जानकारी साझा करने के लिये यह मंच तैयार किया गया है। 


उम्मीद है इसमें आप सबका का यथायोग्य सहयोग प्राप्त होगा। बस जानकारी सही और सटीक होनी चाहिये ताकि इस मंच की विश्वनयीता बने। जानकारी स्वयं या दूसरे के समाज में राग द्वेष फैलाने वाली नहीं हो। सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक मंच को शुरू करने का प्रयास किया है ताकि यह मंच समाज के लिये कुछ उपयोगी साबित हो सके। हम एक दूसरे से कुछ सीख सकें। एक दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ सकें। मंच को और बेहतर तथा उपयोगी बनाने के लिये आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं। जल्द ही इसका फेसबुक फेज और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी उपस्थिति दर्ज कराई जायेगी।

समाज की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने वाली प्रोग्रेसिव और रचनात्मक जानकारी साझा करने के लिये इस Mail ID पर सामग्री भेज सकते हैं। kshatradharma777@gmail.com


सादर। 

जय क्षात्र धर्म।