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कंचन शेखावत राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले के किरडोली छोटी की रहने वाली है। |
सफलता (Success) कोई सपना नहीं है इसे कोई भी आम इंसान हकीकत में बदल सकता है। जरुरत बस दृढ़ इच्छाशक्ति (Willpower) की होती है। पहले के मुकाबले वर्तमान में समय सफलता के कई सोपान सामने आ रहे हैं। बेहतर जॉब और करियर (Jobs & Careers) के वर्तमान में जितने विकल्प युवाओं को मिल रहे हैं उतने शायद पहले कभी नहीं थे। इन विकल्पों का दोहन करना आपके हाथ में है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां (Government and private sector jobs) के बहुविकल्प युवाओं के सामने बाहें फैलाये खड़े हैं।
सफलता में ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन
यह आप पर निर्भर है कि आप उन विकल्पों को किस तरह से लेते हैं। इन विकल्पों में से कोई चीज ऐसी नहीं है जो आप पा नहीं सकते। आप हर वो चीज पा सकते हैं जिसकी इच्छा रखते हैं। हां, यह जरुर है कि उसे पाने के लिये सीढ़ियां आपको की चढ़नी पड़ेगी। इसमें ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन। इसके हजारों उदाहरण आपके सामने हैं। इनमें एक हैं यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात राजस्थान की बेटी कंचन शेखावत (Kanchan Shekhawat)।
महज 26 साल की उम्र में गढ़ी सफलता की कहानी
सीमित साधनों के बूते सफलता की नई कहानियां गढ़ने वालों की लंबी फेहरिस्त है। सरकारी क्षेत्र में आरक्षण को रोड़ा मानकर आप हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते हैं। ये व्यवस्था के हिस्से हैं। अगर इनके भरोसे रहेंगे तो जितना आपको मिलना चाहिये आप उतना नहीं पा सकेंगे और मन ही मन में कुढ़ते रहेंगे। लेकिन अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा है तो आपकी राह रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसा ही एक उदाहरण है राजस्थान की शेखावाटी इलाके के सीकर जिले की युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंचन शेखावत। कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे अपनी मेहनत के बूते महज 26 साल की युवा अवस्था में पूरा कर दिखाया।
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कंचन मानती हैं कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं। |
कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है
आज कंचन अपने सपने को जी रही हैं। यही नहीं वह सपनों से भी आगे निकलने का भी प्रयास कर रही हैं। परंपरागत राजपूत समाज में ऐसी कई प्रतिभायें है जो साधनों और संसाधनों की फिक्र को एक तरफ रखकर अपने लक्ष्य के प्रति इतने ज्यादा जनूनी हो जाती हैं कि वे उसे पाकर ही दम लेती हैं। उन्हीं में से एक है कंचन शेखावत। क्षत्रिय समाज के युवाओं के लिये वो आइडिल हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों में नई ऊचाइंयों को छुआ है। क्षत्रिय समाज की इस बेटी ने अपनी सफलता के बूते ना केवल मां-पिता का बल्कि समाज का भी मान बढ़ाया है। कंचन अमेरिका की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात हैं. कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. आज हम आपको रू-ब-रू करवाते हैं कंचन शेखावत और उसके संघर्ष की गाथा तथा विकास यात्रा से।
जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है
राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले का छोटा सा गांव है किरडोली छोटी। इसी छोटे से गांव से निकलकर महज 26 वर्ष उम्र में कंचन ने अमेरिका तक का सफर तय किया है। सीकर के किरोडोली गांव निवासी कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे बेदह कम उम्र में पूरा कर यह साबित कर दिया कि जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कंचन ने बचपन में ही शिक्षा के महत्व को समझकर उसे आत्मसात कर लिया। कचंन ने यह अच्छी तरह से समझ लिया कि शिक्षा वो शस्त्र है जिसके बूते वह हर वो मुकाम पा सकती है। जिसकी वो इच्छा रखती हैं और हकदार है। कंचन ने 10वीं कक्षा तक आते-आते इंजीनियर बनने के लक्ष्य को तय कर लिया.
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कंचन के पिता भंवर सिंह गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं। |
सफलता के लिये दृढ़ संकल्प और सटीक रणनीति होनी चाहिये
उसके बाद कंचन ने अपने मुकाम को पाने के लिये खुद को इतना झौंक दिया कि उसने बाकी सभी चीजों की सुध छोड़ दी। बकौल कंचन सपने को पूरा करने के लिये दृढ़ संकल्प और उसे पूरा करने की रणनीति आपके पास होनी चाहिये। फिर धैर्य के साथ सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते जाये सफलता आपके कदम जरुर चूमेगी। अपने लक्ष्य को पाने के लिये उस समय तक मेहनत करो और हार मत मानो जब तक कि आपको अपनी मंजिल मिल ना जाये. सफलता एक पड़ाव नहीं है। यह सफर है। इस पर जितना चलोगे उतने ही ज्यादा सफल होंगे।
सफल होने के लिये मां से सीखा 'हार्ड वर्क' का पाठ
कंचन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा का सफर गुजराती माध्यम से वडोदरा से शुरू किया। उसके बाद कंचन ने 8वीं से लेकर 12वीं तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से अपने गृह जिले सीकर से प्राप्त की. 12वीं तक पहुंचते-पहुंचते कंचन ने अपने लक्ष्य को उड़ान देना शुरू कर दिया। अपने सपनों को पूरा करने के लिये कंचन मिजोरम पहुंची और वहां एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त कर लक्ष्य का अहम पड़ाव पूरा किया। साधारण राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली कंचन के पिता भंवर सिंह शेखावत पहले प्लास्टिक फैक्ट्ररी में ठेकेदारी करते थे. वर्तमान में अपने गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं. कंचन की मां चांद कंवर सीधीसाधी घरेलू महिला हैं, लेकिन वे मेहनती काफी हैं। कंचन ने मां चांद कंवर से मेहनत का पाठ पढ़ा।
हर अवसर में सीखने की आदत डालें, यह आपको सफल बनाती हैं
अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और शिक्षकों को देने वाली कंचन मानती की उनकी प्रेरणा और सहयोग के बिना शायद यह संभव नहीं हो पाता। अमेरिका जैसे देश में इतने बड़े पैकेज पर पहुंचने के बाद भी अपनी कंचन जड़ों से नहीं कटी हैं। उनका कहना है कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं। उनका मान-सम्मान ही दुनियाभर में आपको ऊंचाइयां प्रदान करता है। कंचन कहती है अभी तक पंख फैलायें हैं उड़ान बाकी है। बकौल कंचन ये जॉब उनके लिये सीखने का अवसर है. अभी और आगे जाना है। हर अवसर में सीखने की आदत डालें। यह आपकी सफलता की निरंतरता के लिये जरुरी है।
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कंचन ने एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त की है। |
पहले सपने देखने का साहस करो फिर से पूरा करने का प्रयास करो
यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत कंचन का वर्तमान में सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. कंचन को इससे पहले भी कई बड़े ऑफर मिल चुके हैं। पूर्व में कंचन को 7 लाख से लेकर 40 लाख रुपये के ऑफर मिल चुके हैं। कंचन की खूबी यह है कि वह अपने हर कार्य और जॉब को पूरी शिद्दत से पूरा करती है। 'काम ही काम आता है' में विश्वास करने वाली कंचन की सफलता का यह सफर न केवल क्षत्रिय समाज बल्कि हर उस युवा के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। कंचन विश्व के ख्यातनाम वैज्ञानिक एंव भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे कलाम के उस थीम में विश्वास करती है जिसके अनुसार 'अगर अगर आपको सफल होना है तो पहले सपने देखने का साहस करो और फिर उसे पूरा करने के लिये अपनी पूरी ताकत झौंक दो'
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