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Friday, May 7, 2021

Amazing-Success-Story-3 : जैसलमेर के सांकड़ा गांव की बहू प्रियंका कंवर बनी डॉक्टर, धोरों से निकली प्रतिभा

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प्रियंका कंवर जैसलमेर

सफलता (Success) किसी की थाती नही है। सफलता की राहत दृढ़ इच्छाशक्ति (Strong will power) से निकलती है। पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे जैसलमेर और बाड़मेर (Jaisalmer and Barmer) जैसे इलाके से इन दिनों कुछ सुकुनभरी खबरें आ रही हैं। रेतीले धोरों में बसे इन इलाकों में भी अब राजपूत समाज की बेटियां (Daughters of rajput society) शिक्षा के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ा रही हैं। अब इन इलाकों की बेटियां भी समय के साथ कदम ताल मिलाकर अपना और परिवार का भविष्य संवारने में जुटी है। गति भले ही धीमी हो लेकिन चलने की शुरुआत करने से रास्ते बनने लगे हैं। प्रतिभायें घंघूट की आड़ छोड़कर करियर (Career) आगे आने लगी हैं। ऐसा ही एक सुखद समाचार जैसलमेर जिले के सांकड़ा गांव से आया है। यहां की बहू प्रियंका कंवर (Priyanka Kanwar) ने डॉक्टर बनकर घर परिवार का नाम रोशन किया है। 


शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत कदम बढ़ाया

जैसलमेर के सांकडा गांव की बहू प्रियंका कंवर ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर चिकित्सा जगत में पदार्पण किया है। प्रियंका कंवर की इस कामयाबी से इलाके में खुशी की लहर है। प्रियंका कंवर ने जैसलमेर जैसे परापंगत जिले में नारी शक्ति की शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती भूमिका को और मजबूत किया है। अब प्रियंका का डॉक्टर बनने सपना साकार हो गया है। 

Amazing Success Story-1: 1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं कंचन शेखावत


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प्रियंका ने पश्चिमी राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया है।

पिता की प्रेरणा और ससुराल के सहयोग ने दिलाई सफलता

प्रियंका ने अपनी इस सफलता का श्रेय बताया माता पिता को दिया है। बकौल प्रियंका पिता सेवानिवृत्त एक्सईएन जैतसिंह पडिहार की प्रेरणा और ईश्वर के आशीर्वाद से उसने पश्चिमी राजस्थान की महिलाओं की लिए कठिन समझे जाने वाली चिकित्सा पेशे में जाने की ठानी। शादी के बाद पति और ससुराल वालों का भी पिछले चार साल से सकारात्मक सहयोग मिला। पिता की प्ररेणा, पति व ससुराल का साथ और ईश्वर के आशीर्वाद का परिणाम है कि आज प्रियंका का डॉक्टर बनने का उनका सपना साकार हो गया। 


प्रियंका कंवर के पति भी लेखा अधिकारी हैं

जैसलमेर जिला हेडक्वार्टर से ही लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांकडा गांव निवासी प्रियंका के ससुर शिक्षाविद गिरधरसिंह राठौड ने भी बहू की सफलता पर ससुर ईश्वर का शुक्रिया अदा किया है। प्रियंका के पति देरावर सिंह राठौड़ राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन उपरांत लेखा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। देरावर सिंह का इससे पहले बैंक, शिक्षक और असिस्टेंट कमांडेंट में चयन हो चुका है। जाहिर इस दंपति ने शिक्षा के महत्व को समझा है और अपना मुकाम पाने के लिये दोनों ने अच्छी मेहनत भी की है। इसका नतीजा सबके सामने है.


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अपना मुकाम पाने के लिये प्रियंका ने कड़ी मेहनत की और इसका नतीजा सामने है।

बेटियों और बहुओं के लिये प्ररेणा बनी प्रियंका कंवर

जैसलमेर जैसे जिले में राजपूत परिवार की बेटी और बहू का शिक्षा के क्षेत्र में आगे आना निश्चित तौर पर अन्य बेटियों और बहुओं के लिये मील का पत्थर साबित होगा। प्रियंका की यह उपलब्धि जिले में बेटियों की शिक्षा को लेकर की नई अलख जगाएगा। प्रियंका ख़ुद भी क्षेत्र की नारी शक्ति को आगे बढ़ाने एवं उनकी मदद करने की इच्छुक है ताकि इलाके का सर्वांगीण विकास हो और प्रतिभायें आगे आयें। इसके लिये वे अब खुद भी प्रयास करेंगी.

Amazing-Success-Story-2 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा इतिहास, पढ़ें सफलता की पूरी कहानी

धारणायें धीरे-धीरे टूटती जा रही हैं

उल्लेखनीय है कि पश्चिमी राजस्थान में स्थित बाड़मेर और जैसलमेर इलाके में बेहद परंपरागत होने के साथ ही अभी यहां पढ़ाई के प्रति रुझान अन्य इलाकों के मुकाबले काफी कम है। विशेषकर राजपूत समाज में आज भी लड़के और लड़कियों की शिक्षा में भेद किया जाता है। हालांकि अब ये धारणायें धीरे-धीरे टूटती जा रही हैं। लड़कों के साथ ही लड़कियां भी घर से बाहर निकलकर शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में कदम बढ़ाने लगी हैं। इन इलाकों के कई साधारण परिवारों से राजपूत लड़के और लड़कियों ने शिक्षा, खेल और सरकारी नौकरियों में अपना मुकाम हासिल किया है। ऐसी ही प्रतिभा प्रियंका कंवर को डॉक्टर बनने पर क्षत्रिय समाज की तरफ हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें।  


जरुरत है हौसला बढ़ाने की

ऐसा नहीं है कि इन इलाको में राजपूत समाज में प्रतिभाओं की कमी है। जरुरत है तो बस उन्हें प्रोत्साहित करने और आगे बढ़ाने की। क्योंकि इन रेतीले धोरों से कई ऐसे हीरे निकले हैं जिन्होंने देश दुनिया में न केवल राजपूत समाज का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। आज उनकी रोशनी में दूसरी प्रतिभायें भी अपना भविष्य संवारने में जुटी है। 

Friday, April 30, 2021

Amazing-Success-Story-2 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा इतिहास, पढ़ें सफलता की पूरी कहानी

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 स्वाति राठौड़ ने अपने करियर के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं।

सफलता (Success) क्या होती है और उसे कैसे पाया जा सकता है इसका सबसे उम्दा उदाहरण है राजस्थान की बेटी एवं भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ (Flight Lieutenant Swati Rathore)। राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गांव की इस बहादुर बेटी ने अपने करियर (Career) के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं। लेकिन स्वाति ने उसे हकीकत में बदल कर यह बता दिया कि अगर आप में जुनून है तो आप कोई भी मुकाम पा सकते हो। मुश्किलें कतई आड़े नहीं आती हैं। वे आपके हौंसले को देखकर अपने आप दूर हो जाती हैं।

 

जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है

वर्ष 2021 में गणतंत्र दिवस के मौके पर इतिहास रचने वाली राजस्थान के नागौर जिले की प्रेमपुरा की इस बेटी ने राजधानी दिल्ली में राजपथ पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व कर बता दिया कि जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है। अजमेर में पली बढ़ी और यहीं से शिक्षा प्राप्त कर इंडियन एयरफोर्स के चुनने वाली स्वाति की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान बल्कि देशभर की बेटियों के लिये मील का वो पत्थर है जो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने और सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देता रहेगी। भारत में गणतंत्र दिवस के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी महिला पायलट को फ्लाई पोस्ट का जिम्मा मिला था.


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स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। 

स्कूल अजमेर और कॉलेज जयपुर से किया

कृषि विभाग में उपनिदेशक पद पर तैनात डॉ. भवानी सिंह राठौड़ और राजेश कंवर की लाडली बेटी स्वाति ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर के मयूर स्कूल और कॉलेज जयपुर के आईसीजी से किया। स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। स्वाति ने स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एनसीसी एयर विंग ज्वॉइन कर अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम रखा था। स्वाति ने एनसीसी एयरविंग में कैडेट रहते हुये ही रक्षा सेवाओं में करियर बनाने की पूरी प्लानिंग कर ली थी। 

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वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में स्वाति का चयन एयरफोर्स में हो गया था।

पहले ही प्रयास में हो गया एयरफोर्स में चयन

जयपुर में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान स्वाति को यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सिंगापुर जाने का मौका मिला। वहां स्वाति ने यूरोप और अमरिकन देशों से आये अन्य प्रतिभागियों के बीच निशानेबाजी प्रतियोगिता में मुकाबला करते हुये गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में उनका चयन एयरफोर्स में हो गया। स्वाति वर्ष 2013 में एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में शामिल हुई थी। टेस्ट क्लियर करने के बाद उन्हें मार्च 2014 में एयरफोर्स सलेक्शन बोर्ड देहरादून में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। उस समय वहां देशभर से करीब 200 छात्राएं इंटरव्यू के लिये आईं थी। इनमें से करीब 50 फीसदी को स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था। स्क्रीनिंग के बाद केवल पांच छात्राएं ही मैदान में रहीं। उनमें फ्लाइंग ब्रांच के लिए एकमात्र स्वाति का चयन हुआ। 


पूर्व सीएम राजे और केन्द्रीय मंत्री शेखावत समेत कई दिग्गजों ने दी थी बधाई

एयरफोर्स ज्वॉइन करने के बाद वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान स्वाति ने अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों लोगों को एयरलिफ्ट कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था. बाढ़ राहत में किये गये स्वाति के इस कार्य के दौरान वे काफी चर्चा में रही थी। वहीं 26 जनवरी पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व करने पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत समेत कई दिग्गजों नेताओं और अन्य हस्तियों ने मरुधरा की इस बेटी को उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनायें दी।  

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स्वाति ने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने बहुत जल्द पूरा कर लिया।

बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें

अपनी लाडो की इस उपलब्धि पर उनके माता पिता बेहद खुश हैं। स्वाति के पिता डॉ. भवानी सिंह राठौड़ बताते हैँ उन्हें स्वाति पर गर्व है. उसने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने पूरा कर लिया। डॉ. भवानी सिंह और उनकी पत्नी राजेश कंवर दोनों का कहना है कभी बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें. बेटियां भी सपने देखती हैं। उन्हें उनके सपनों की मंजिल तक पहुंचाने के लिय उन पर भरोसा करें और कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग करे. यकीनन बेटियां आपका सिर गर्व से ऊंचा कर देगी। स्वाति इसका उदाहरण है। 


Monday, April 26, 2021

Amazing Success Story-1: 1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं कंचन शेखावत

1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन शेखावत राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले के किरडोली छोटी की रहने वाली है।

सफलता (Success) कोई सपना नहीं है इसे कोई भी आम इंसान हकीकत में बदल सकता है। जरुरत बस दृढ़ इच्छाशक्ति  (Willpower) की होती है। पहले के मुकाबले वर्तमान में समय सफलता के कई सोपान सामने आ रहे हैं। बेहतर जॉब और करियर (Jobs & Careers) के वर्तमान में जितने विकल्प युवाओं को मिल रहे हैं उतने शायद पहले कभी नहीं थे। इन विकल्पों का दोहन करना आपके हाथ में है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां (Government and private sector jobs) के बहुविकल्प युवाओं के सामने बाहें फैलाये खड़े हैं। 


सफलता में ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन

यह आप पर निर्भर है कि आप उन विकल्पों को किस तरह से लेते हैं। इन विकल्पों में से कोई चीज ऐसी नहीं है जो आप पा नहीं सकते। आप हर वो चीज पा सकते हैं जिसकी इच्छा रखते हैं। हां, यह जरुर है कि उसे पाने के लिये सीढ़ियां आपको की चढ़नी पड़ेगी। इसमें ना तो साधन आड़े आते हैं और ना ही संसाधन। इसके हजारों उदाहरण आपके सामने हैं। इनमें एक हैं यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात राजस्थान की बेटी कंचन शेखावत (Kanchan Shekhawat)। 


महज 26 साल की उम्र में गढ़ी सफलता की कहानी

सीमित साधनों के बूते सफलता की नई कहानियां गढ़ने वालों की लंबी फेहरिस्त है। सरकारी क्षेत्र में आरक्षण को रोड़ा मानकर आप हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते हैं। ये व्यवस्था के हिस्से हैं। अगर इनके भरोसे रहेंगे तो जितना आपको मिलना चाहिये आप उतना नहीं पा सकेंगे और मन ही मन में कुढ़ते रहेंगे। लेकिन अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा है तो आपकी राह रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसा ही एक उदाहरण है राजस्थान की शेखावाटी इलाके के सीकर जिले की युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंचन शेखावत। कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे अपनी मेहनत के बूते महज 26 साल की युवा अवस्था में पूरा कर दिखाया। 


Amazing Success-  1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन मानती हैं कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं।


कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है

आज कंचन अपने सपने को जी रही हैं। यही नहीं वह सपनों से भी आगे निकलने का भी प्रयास कर रही हैं। परंपरागत राजपूत समाज में ऐसी कई प्रतिभायें है जो साधनों और संसाधनों की फिक्र को एक तरफ रखकर अपने लक्ष्य के प्रति इतने ज्यादा जनूनी हो जाती हैं कि वे उसे पाकर ही दम लेती हैं। उन्हीं में से एक है कंचन शेखावत। क्षत्रिय समाज के युवाओं के लिये वो आइडिल हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों में नई ऊचाइंयों को छुआ है। क्षत्रिय समाज की इस बेटी ने अपनी सफलता के बूते ना केवल मां-पिता का बल्कि समाज का भी मान बढ़ाया है। कंचन अमेरिका की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर तैनात हैं. कंचन का सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. आज हम आपको रू-ब-रू करवाते हैं कंचन शेखावत और उसके संघर्ष की गाथा तथा विकास यात्रा से।      


जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है

राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले का छोटा सा गांव है किरडोली छोटी। इसी छोटे से गांव से निकलकर महज 26 वर्ष उम्र में कंचन ने अमेरिका तक का सफर तय किया है। सीकर के किरोडोली गांव निवासी कंचन ने बचपन में जो सपना देखा उसे बेदह कम उम्र में पूरा कर यह साबित कर दिया कि जिद और जुनून से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कंचन ने बचपन में ही शिक्षा के महत्व को समझकर उसे आत्मसात कर लिया। कचंन ने यह अच्छी तरह से समझ लिया कि शिक्षा वो शस्त्र है जिसके बूते वह हर वो मुकाम पा सकती है। जिसकी वो इच्छा रखती हैं और हकदार है। कंचन ने 10वीं कक्षा तक आते-आते इंजीनियर बनने के लक्ष्य को तय कर लिया.


Amazing Success-  1.70 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर US में कार्यरत हैं 26 वर्षीय कंचन शेखावत- 26-year-old Kanchan Shekhawat is working in the US on an annual package of 1.70 crore rupees
कंचन के पिता भंवर सिंह  गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं।

सफलता के लिये दृढ़ संकल्प और सटीक रणनीति होनी चाहिये

उसके बाद कंचन ने अपने मुकाम को पाने के लिये खुद को इतना झौंक दिया कि उसने बाकी सभी चीजों की सुध छोड़ दी। बकौल कंचन सपने को पूरा करने के लिये दृढ़ संकल्प और उसे पूरा करने की रणनीति आपके पास होनी चाहिये। फिर धैर्य के साथ सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते जाये सफलता आपके कदम जरुर चूमेगी। अपने लक्ष्य को पाने के लिये उस समय तक मेहनत करो और हार मत मानो जब तक कि आपको अपनी मंजिल मिल ना जाये. सफलता एक पड़ाव नहीं है। यह सफर है। इस पर जितना चलोगे उतने ही ज्यादा सफल होंगे।


सफल होने के लिये मां से सीखा 'हार्ड वर्क' का पाठ

कंचन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा का सफर गुजराती माध्यम से वडोदरा से शुरू किया। उसके बाद कंचन ने 8वीं से लेकर 12वीं तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से अपने गृह जिले सीकर से प्राप्त की. 12वीं तक पहुंचते-पहुंचते कंचन ने अपने लक्ष्य को उड़ान देना शुरू कर दिया। अपने सपनों को पूरा करने के लिये कंचन मिजोरम पहुंची और वहां एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त कर लक्ष्य का अहम पड़ाव पूरा किया। साधारण राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली कंचन के पिता भंवर सिंह शेखावत पहले प्लास्टिक फैक्ट्ररी में ठेकेदारी करते थे. वर्तमान में अपने गांव में खेती बाड़ी का कार्य करते हैं. कंचन की मां चांद कंवर सीधीसाधी घरेलू महिला हैं, लेकिन वे मेहनती काफी हैं। कंचन ने मां चांद कंवर से मेहनत का पाठ पढ़ा। 


हर अवसर में सीखने की आदत डालें, यह आपको सफल बनाती हैं

अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और शिक्षकों को देने वाली कंचन मानती की उनकी प्रेरणा और सहयोग के बिना शायद यह संभव नहीं हो पाता। अमेरिका जैसे देश में इतने बड़े पैकेज पर पहुंचने के बाद भी अपनी कंचन जड़ों से नहीं कटी हैं। उनका कहना है कि जननी और जन्मभूमि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये अतुल्य हैं। उनका मान-सम्मान ही दुनियाभर में आपको ऊंचाइयां प्रदान करता है। कंचन कहती है अभी तक पंख फैलायें हैं उड़ान बाकी है। बकौल कंचन ये जॉब उनके लिये सीखने का अवसर है. अभी और आगे जाना है। हर अवसर में सीखने की आदत डालें। यह आपकी सफलता की निरंतरता के लिये जरुरी है। 


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कंचन ने एनआईटी मिजोरम से बीटेक की डिग्री प्राप्त की है।


पहले सपने देखने का साहस करो फिर से पूरा करने का प्रयास करो

यूएस बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी अमेजॉन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत कंचन का वर्तमान में सालाना पैकेज 1.70 करोड़ रुपये का है. कंचन को इससे पहले भी कई बड़े ऑफर मिल चुके हैं। पूर्व में कंचन को 7 लाख से लेकर 40 लाख रुपये के ऑफर मिल चुके हैं। कंचन की खूबी यह है कि वह अपने हर कार्य और जॉब को पूरी शिद्दत से पूरा करती है। 'काम ही काम आता है' में विश्वास करने वाली कंचन की सफलता का यह सफर न केवल क्षत्रिय समाज बल्कि हर उस युवा के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। कंचन विश्व के ख्यातनाम वैज्ञानिक एंव भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे कलाम के उस थीम में विश्वास करती है जिसके अनुसार 'अगर अगर आपको सफल होना है तो पहले सपने देखने का साहस करो और फिर उसे पूरा करने के लिये अपनी पूरी ताकत झौंक दो'