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Friday, April 30, 2021

Amazing-Success-Story-2 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा इतिहास, पढ़ें सफलता की पूरी कहानी

how flight lieutenant swati rathore created history on rajpath- read full story of success-फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ ने राजपथ पर कैसे रचा-पढ़ें सफलता की पूरी कहानी
 स्वाति राठौड़ ने अपने करियर के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं।

सफलता (Success) क्या होती है और उसे कैसे पाया जा सकता है इसका सबसे उम्दा उदाहरण है राजस्थान की बेटी एवं भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ (Flight Lieutenant Swati Rathore)। राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गांव की इस बहादुर बेटी ने अपने करियर (Career) के अल्प समय में वो कर दिया जिसकी लोग केवल कल्पना करके ही रह जाते हैं। लेकिन स्वाति ने उसे हकीकत में बदल कर यह बता दिया कि अगर आप में जुनून है तो आप कोई भी मुकाम पा सकते हो। मुश्किलें कतई आड़े नहीं आती हैं। वे आपके हौंसले को देखकर अपने आप दूर हो जाती हैं।

 

जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है

वर्ष 2021 में गणतंत्र दिवस के मौके पर इतिहास रचने वाली राजस्थान के नागौर जिले की प्रेमपुरा की इस बेटी ने राजधानी दिल्ली में राजपथ पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व कर बता दिया कि जिद और जुनून से सपनों को पूरा भी किया जा सकता है। अजमेर में पली बढ़ी और यहीं से शिक्षा प्राप्त कर इंडियन एयरफोर्स के चुनने वाली स्वाति की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान बल्कि देशभर की बेटियों के लिये मील का वो पत्थर है जो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने और सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देता रहेगी। भारत में गणतंत्र दिवस के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी महिला पायलट को फ्लाई पोस्ट का जिम्मा मिला था.


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स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। 

स्कूल अजमेर और कॉलेज जयपुर से किया

कृषि विभाग में उपनिदेशक पद पर तैनात डॉ. भवानी सिंह राठौड़ और राजेश कंवर की लाडली बेटी स्वाति ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर के मयूर स्कूल और कॉलेज जयपुर के आईसीजी से किया। स्वाति ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था। स्वाति ने स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एनसीसी एयर विंग ज्वॉइन कर अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम रखा था। स्वाति ने एनसीसी एयरविंग में कैडेट रहते हुये ही रक्षा सेवाओं में करियर बनाने की पूरी प्लानिंग कर ली थी। 

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वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में स्वाति का चयन एयरफोर्स में हो गया था।

पहले ही प्रयास में हो गया एयरफोर्स में चयन

जयपुर में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान स्वाति को यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सिंगापुर जाने का मौका मिला। वहां स्वाति ने यूरोप और अमरिकन देशों से आये अन्य प्रतिभागियों के बीच निशानेबाजी प्रतियोगिता में मुकाबला करते हुये गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। वर्ष 2014 में पहले ही प्रयास में उनका चयन एयरफोर्स में हो गया। स्वाति वर्ष 2013 में एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में शामिल हुई थी। टेस्ट क्लियर करने के बाद उन्हें मार्च 2014 में एयरफोर्स सलेक्शन बोर्ड देहरादून में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। उस समय वहां देशभर से करीब 200 छात्राएं इंटरव्यू के लिये आईं थी। इनमें से करीब 50 फीसदी को स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था। स्क्रीनिंग के बाद केवल पांच छात्राएं ही मैदान में रहीं। उनमें फ्लाइंग ब्रांच के लिए एकमात्र स्वाति का चयन हुआ। 


पूर्व सीएम राजे और केन्द्रीय मंत्री शेखावत समेत कई दिग्गजों ने दी थी बधाई

एयरफोर्स ज्वॉइन करने के बाद वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान स्वाति ने अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों लोगों को एयरलिफ्ट कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था. बाढ़ राहत में किये गये स्वाति के इस कार्य के दौरान वे काफी चर्चा में रही थी। वहीं 26 जनवरी पर फ्लाई पोस्ट का नेतृत्व करने पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत समेत कई दिग्गजों नेताओं और अन्य हस्तियों ने मरुधरा की इस बेटी को उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनायें दी।  

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स्वाति ने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने बहुत जल्द पूरा कर लिया।

बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें

अपनी लाडो की इस उपलब्धि पर उनके माता पिता बेहद खुश हैं। स्वाति के पिता डॉ. भवानी सिंह राठौड़ बताते हैँ उन्हें स्वाति पर गर्व है. उसने बचपन में जो सपना देखा था उसे उसने पूरा कर लिया। डॉ. भवानी सिंह और उनकी पत्नी राजेश कंवर दोनों का कहना है कभी बेटा और बेटी में अंतर नहीं रखें. बेटियां भी सपने देखती हैं। उन्हें उनके सपनों की मंजिल तक पहुंचाने के लिय उन पर भरोसा करें और कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग करे. यकीनन बेटियां आपका सिर गर्व से ऊंचा कर देगी। स्वाति इसका उदाहरण है।